उत्तर: प्रश्न बहुत श्रेष्ठ है। कार्य सफल होगा।
चौपाई : गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
अर्थ: अयोध्यापुरी के राजा श्री रघुनाथजी को हृदय में रखे हुए नगर में प्रवेश करके सब काम कीजिए। उसके लिए विष अमृत हो जाता है, शत्रु मित्रता करने लगते हैं, समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है, अग्नि में शीतलता आ जाती है॥
राम चरित मानस में स्थान : यह चौपाई श्री हनुमान जी के लंका में प्रवेश करने के समय की है।