बहुत कठिन था वो दौर,जिसको आज हम याद करते हैं ।पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।…
आदमी कहीं खो गया है आभासी दुनिया में आदमीझुंठलाने लगा है अपनी वास्तविकता को आदमीपरहित को भूलकर…
सुशांत का दुखांत हूं मैं निशब्द,बिल्कुल ही स्तब्ध,जब चला पता,सुन्न, स्थिर, हूं हिला । होए ना…
दौर कुछ यूँ आया पशुओ को कैद कर जो मनुष्यों ने था कब्जा जमाया , अब उसी मनुष्य जाति को नियति ने घर…
प्रार्थना - आए सद्बुद्धि… सन्यासी "साधु",है देश का जादू । संस्कृत का शब्द,तन में जैसे…
पांच का जादू वो २२ मार्च,वो बजे थे पांच । शाम का आगाज़,कुछ अलग और ख़ास । वो पांच मिनट,गए शिकवे सिमट…
।। समझ बैठे ।। तेरी सारी ख्वाहिशों को , हम हमारी रहमत समझ बैठे। तेरी होंठो की मुसकुराहट को , तो हम…
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