मैं आसमां और तू जमीं (शायरी)
बड़ी लंबी नहीं है डोर जो है तेरी मेरी
शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’
मैं आसमां तेरा तू है जमीं मेरी
जब जब महसूस करता हूं करीब से खुद को
तेरी खुशबू से महकती है हर सांस ये मेरी।
तुम मेरा आईना
शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’
हर धड़कन धड़कती है तुमसे,
हम जान बना बैठे हैं तुम्हें,
आंखों में तुम्हें समाना तो
मज़बूरी है मेरी,
हम आइना जो बना बैठे हैं तुम्हें।
तुम मेरी जान हो
तुम खिलते हुए से गुलाब हो
शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’
प्याले में जैसे शराब हो
पीने का हुनर तो रखते हैं मगर
शायद तुम मेरा ख्वाब हो।