कविता

शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’ – छद्म रचनाएँ

मैं आसमां और तू जमीं (शायरी)

बड़ी लंबी नहीं है डोर जो है तेरी मेरी
मैं आसमां तेरा तू है जमीं मेरी
जब जब महसूस करता हूं करीब से खुद को
तेरी खुशबू से महकती है हर सांस ये मेरी।

शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’

तुम मेरा आईना
हर धड़कन धड़कती है तुमसे,
हम जान बना बैठे हैं तुम्हें,
आंखों में तुम्हें समाना तो
मज़बूरी है मेरी,
हम आइना जो बना बैठे हैं तुम्हें।

शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’

तुम मेरी जान हो

तुम खिलते हुए से गुलाब हो
प्याले में जैसे शराब हो
पीने का हुनर तो रखते हैं मगर
शायद तुम मेरा ख्वाब हो।

शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’
©शुभम शर्मा 'शंख्यधार' शुभम शर्मा का जन्म जिला शाहजहांपुर यू ०प्र० के एक छोटे से कस्बे खुटार में हुआ। ये उन स्वतंत्र लेखकों में से हैं जो सिर्फ अपने मनोरंजन के लिए तथा अपने खाली समय में अपने अंदर झांककर उसका सदुपयोग करने के लिए लेखन करते हैं। आप…

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