कविता

रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ??

रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ??

ये जो तुम रोज रोज नए कपड़े पहन कर आती हो,
हर बार मुझे ही तारीफ करना जरूरी है क्या ?
जब कभी अगर तारीफ ना करूं तो तुम रूठ जाती हो,
हर बार मुझे ही मनाना जरूरी है क्या ?
रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ?

यूं तू जब गुजरती है मेरे सामने से,
हर बार मेरा ही दिल धड़काना जरूरी है क्या ?
कभी तुम भी प्यार से सोना बाबू कह लो,
हर बार मुझे ही जान बुलाना जरूरी है क्या ?
रोज रोज मिलना जरूरी है क्या ?

मैं थक गया हूं तुमसे वफा कर कर करके ,
हर बार मुझे ही प्यार निभाना जरूरी है क्या ?
तेरी हर गलती माफ करना बाद में मुझे सॉरी कहना ,
तेरी हर हा मे हा और ना मे भी हा कहना जरूरी है क्या ?

मुझे पता है तुम प्यार तो सिर्फ मुझसे ही करती हो,
लेकिन नजाने क्यू अपने दोस्तों से इंट्रो करते हुए भी
वी आर जस्ट फ़्रेंड कहना जरुरी है क्या ?
तुमने तो मेरा नम्बर क्लासमेट से ही सेव किया है,
मैंने ही नजाने क्यू मेरी “पगली ,जान , माय लाइफ ” से
सेव किया ये करना भी जरुरी है क्या ?
क्या तेरा नम्बर भी सेव करना जरुरी है क्या?
रोज रोज मिलना जरुरी है क्या?

कभी तुम भी इज़हार किया करो ,
अपनी गलती मान भी लिया करो,
तुम्हे मुझे ही हर बार तड़पना जरुरी है क्या ?
जाओ तुम दिखावे का प्यार किसी और से करना,
हर बार मुझे किसी बेवफा से प्यार करना जरुरी है क्या ?
रोज रोज मिलना जरुरी है क्या ?

तुमसे मिलकर मै बाते करता,
मै अपने दिल के अरमान पुरे करता ?
तू जो इतनी खूबसूरत कभी रात मे भी मिल,
दिन मे ही मिलना जरुरी है क्या ?
रोज रोज मिलना जरुरी है क्या ?

मिलने का तो अब दिल भी नहीं करता,
और तुम जो हमें रोज रोज मिलती हो,
ये मिलना भी जरुरी है क्या ?
रोज रोज मिलना जरुरी है क्या ?

शशिधर तिवारी "राजकुमार" एक सिविल इंजीनियर विद्यार्थी हैं जो मुंबई से पढ़ रहे हैं .वे इस नए दौर के कवि हैं जो समाज चल रहे अभी के माहौल और कॉलेज की गतविधियों पर कविता लिखना पसंद करते हैं. प्यार, मोहब्बत, दोस्ती ऐसे सभी मुद्दे पर अक्शर कविता लिखना…

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