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राजपथ से मैं जसदेवसिंह बोल रहा हूॅ—-

उन्होने 1963 से लेकर 2011 तक लगातार आँखों देखा हाल सुनाया| यह उनकी मखमली आवाज़ और सम्प्रेक्षण का ही कमाल था । उन्होंने ९ बार ओलिंपिक, ८ बार हॉकी विश्वकप, तथा ६ बार एशियाइ खेलो में कमेंट्री की । हॉकी मैचों में प्रस्तुत आँखों देखा हाल सुनने वालों में रोमांच भर देता था।

हिन्दी के श्रेष्ठतम कमेन्टेटर पद्म भूषणश्री जसदेव सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। मखमली आवाज के धनि श्री जसदेव सिंह ने तीन दशको से भी अधिक समय तक भारतीय जन मानस को खेलो, स्वतंत्रता दिवस, स्वतंत्रता दिवस के अनेक विशेष अवसरों पर सीधा साक्षात्कार कराया । उनके द्वारा रेडियो पर वर्णित आँखों देखा हाल हमारे सामने उस अवसर को सजीवता प्रदान कर देता था। यही उनकी विशेषता थी । यद्यपि वे सभी खेलो पर सामान अधिकार रखते थे पर हॉकी उनका प्रिय खेल था । हॉकी मैच के दौरान उनके द्वारा सुनाया जाने वाला आंखों देखा हाल रोमांच भर देता था | इस रोमांच की पराकाष्ठा भारत पाकिस्तान के मैच में होती थी |

उन्होने 1963 से लेकर 2011 तक लगातार आँखों देखा हाल सुनाया| यह उनकी मखमली आवाज़ और सम्प्रेक्षण का ही कमाल था । उन्होंने ९ बार ओलिंपिक, ८ बार हॉकी विश्वकप, तथा ६ बार एशियाइ खेलो में कमेंट्री की । हॉकी मैचों में प्रस्तुत आँखों देखा हाल सुनने वालों में रोमांच भर देता था।

१९४८ में महात्मा गाँधी की अंतिम यात्रा का आँखों देखा हाल वे रेडियो पर सुन रहे थे | विवरण सुनाने वाले श्री ऍम डिमैलो की आवाज़ उन्हें इतनी अच्छी लगी कि उन्होंने उसी दिन आकाशवाणी उद्घोषक बनाने का निश्चय कर लिया। १९५५ में वो आकाशवाणी जयपुर से जुड़ गए तथा हिंदी उर्दू के समाचार वाचक बन गए | उनकी सुरीली आवाज़ के कारण उनको बहुत चाहा जाने लगा |

१९६२ में उन्हें जयपुर में खेले गए राष्ट्रीय फुटबॉल मैच में पहली बार आँखों देखा हाल सुनाने का अवसर मिला जो उनके बचपन की चाहत थी | उसके बाद लोग उनके दीवाने हो गए | १९६३ में वे दिल्ली दूरदर्शन से जुड़ गए तथा वहा उन्होंने ३५ वर्षो तक सेवाएं दी | श्री जसदेव सिंह को १९८५ में पद्म श्री तथा २००८ में पद्मा भूषण प्रदान किया गया | उन्हें खेलो के सर्वोच्च अंतर्राष्ट्रीय सामान से नवाज़ा गया |

वे अपने जीवम में हमेशा सक्रिय रहे | उन्होंने खेल विशेषज्ञ के रूप में अपने ज्ञान से लोगो को लाभान्वित किया | उन्होंने कई पत्र पत्रिकाओं में खेलो पर नियमित लेखन किया | दिल्ली से प्रकाशित सरिता से वे काफी लम्बे समय से जुड़े रहे | अंतर्राष्ट्रीय खेलो में विशेष रूप से हॉकी में भारत द्वारा अच्छे प्रदर्शन को देख कर वे अति प्रसन्न होते | वे चाहते थे की हॉकी में भारत फिर एक बार सिरमौर बने | उन्होंने खेलो को अपना कार्य क्षेत्र माना और बहुत सेवा की | अपने अनुभव को “हाँ में जसदेव सिंह बोल रहा हूँ”, में विस्ततार से बताया | वे टोक्यो ओलिंपिक १९६४ में हॉकी के फाइनल मैच को तथा १९६४ में देश के प्रथम प्रधानमंत्री स्व श्री जवाहरलाल नेहरू के अंतिम यात्रा के विवरण को सर्वश्रेष्ठ मानते थे जिसने लोगो की आँखों को आंसुओ से भर दिया | देश के सर्वश्रेष्ठ रहे श्री जसदेव सिंह जी को हार्दिक श्रद्धांजलि |

छाया: By President’s Secretariat (GODL-India), GODL-India, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=71602396

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