प्रार्थना – आए सद्बुद्धि…
सन्यासी “साधु”,
है देश का जादू ।
संस्कृत का शब्द,
तन में जैसे रक्त ।
तप की मिसाल,
संस्कृति की ढाल ।
त्याग का जीवन,
सम हरदम है मन ।
सामान्य अर्थ ‘सज्जन व्यक्ति’,
ईश्वर की अनथक भक्ति ।
मूल उद्देश्य मार्गदर्शन,
समाज का पथप्रदर्शन ।
धर्म का चले मार्ग,
बिल्कुल बेदाग ।
मोक्ष करता है प्राप्त,
आनंद आध्यात्म ।
साधना वरदान,
जग को दे ज्ञान ।
हुई निर्मम थी हत्या,
मानवता शर्मिंदा ।
उनका बलिदान,
सब आहत परेशान ।
हिन्द हुआ कलंकित,
दहशत व चिंतित ।
अमानवीय दुष्कृत्य,
बर्बर व निंदनीय ।
महाराष्ट्र का पालघर,
साधुओं की हत्या वध ।
गुस्से की लहर,
अमृत में ज़हर ।
भीड़तंत्र षड्यंत्र,
हैरान न्यायतंत्र ।
निहत्थे वृद्ध साधु,
भीड़ हुई बेकाबू ।
बेरहमी से हमला,
दर्पण हुआ धुंधला ।
हुई मॉब लिंचिंग,
आती है घिन्न ।
कारण अफ़वाह,
शैतान दुष्ट राह ।
लाठी डंडों से वार,
कांपा घर बार ।
मच गया हड़कंप,
देश सुन्न व दंग ।
अपराधी की क्या सोच ?
एक पल भी ना संकोच !
दोषियों के ख़िलाफ़,
कठोर दंड इंसाफ़ ।
कहां गए संस्कार ?
रिश्ते बंजर बेकार ।
पशुवत क्रूर दृश्य,
कहां गुरु शिष्य ?
पत्थर हुए दिल,
गया मैं हूं हिल ।
दिया झकझोर,
ये कैसा दौर ?
दुर्भाग्य की बात,
नम हैं जज़्बात ।
क्रूरता की हद,
हूं मैं निःशब्द ।
आए दिलों में शुद्धि,
प्रार्थना आए सद्बुद्धि,
प्रार्थना आए सद्बुद्धि ।
आशावादी विचार व्यक्त ✍🏻