बारिशों के मौसम में वो ,जा बैठे कहीं
वो हमे छोङ कर ,दिल लगा बैठे कहीं
सपनों का ये संसार क्या,गँवा बैठे कहीं
इस प्यार से प्यार को,भूला बैठे तो नहीं
हर तरफ ये शोर है,प्यार का ये है समां
फिर बांधने वाले क्यों यूं, जा बैठे कही
बातें सुन महक उठता था,ये मन हमारा
आहटें सून जाग जाता था,ये दिल बेचारा
उनके पास बैठकर हमे,शुकूं मिलता था
फिर ये शुकूं छीनकर क्यों,जा बैठे कहीं
रुतबा बढाने वाले जब,रूतबा छीनते हैं
लगता है जैसे, पतझङ में पत्ते झङते है
चाँद तो सूरज की,आगोश से चमकता है
ये हमें चमकाने वाले,क्यों जा बैठे कहीं
अब नहीं होगा,जीवन मुकम्मल हमारा
ये तुमने,साथ जो,छोङ दिया है हमारा
अब मुझे हारना नहीं है,ये है प्रण हमारा
हर दिन खुशी से बितेगा,हर पल हमारा