कविता

मेरा सैनिक, मेरी जीत

मेरा सैनिक, मेरी जीत …

आज कारगिल दिवस,
हूँ मैं नतमस्तक,
दुश्मन हो जब तक,
मेरा वीर सजग ।

इसकी कुर्बानी,
छोड़ी ज़िन्दगानी,
कीमत जो जानी,
सार्थक है कहानी ।

वो डटा रहा,
ना कभी झुका,
वो था भूखा,
दुश्मन को भुना ।

ना पीछे हटा,
जज़्बा ना घटा,
बिल्कुल था सटा,
माटी पे मिटा ।

थी चौड़ी छाती,
वो शेर व हाथी,
भारत की बाती,
मेरी शान बड़ा दी ।

सीना था आगे,
ना मुड़ा ना भागे,
खुश मार गिराके,
चैन लहू बहाके ।

वीरों की गाथा,
ये विश्व बताता,
था सच्चा नाता,
मैं कसम हूँ खाता ।

गोली जो खाई,
सीने पर खाई,
ना कमर दिखाई,
ना आंख झुकाई ।

वो सैनिक हटके,
दांत वैरी के खट्टे,
नष्ट शत्रू के अड्डे,
देश ख़ुद से बड़के ।

हिन्द को था जिताया,
ना वापिस आया,
वो वैरी पे छाया,
था वादा निभाया ।

हुआ वो तो अमर,
कह गया मगर,
कुछ भी तू कर,
देश हो अग्रसर ।

था तिरंगा लहराया,
सब कुछ था पाया,
वो धरा का साया,
शत्रू का सफाया ।

ऐसी देशभक्ति,
इसे दुनिया तरसती,
मेरे हिन्द में बसती,
मेरी तभी तो हस्ती..
मेरी तभी तो हस्ती..

एक प्रयास, बस देश ही आस…
जय हिंद 🙏🏻

स्वरचित – अभिनव ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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