शायर की कलम
शायर की कलम हकीकत निकलती है मेरी कलम सेसियासत के आगे भी ये झुक नहीं सकती !लाइसेंसी बंदूके छीन ली…
शायर की कलम हकीकत निकलती है मेरी कलम सेसियासत के आगे भी ये झुक नहीं सकती !लाइसेंसी बंदूके छीन ली…
मैं उसके घर गया थाअपने किसी काम सेउसके शौहर से मिलावो भी वाकिफ़ था मेरे नाम सेपूछ बैठा कौन थी…
बाजार में सब देखते रहे नजाराकिसी ने नहीं देखी बच्चे की तरसती नज़र !अरे इंसान नहीं पत्थर है इस शहर…
हुजूर ज़रा बचना ये इश्क़ बीमारी लाइलाज़ है टूटा हुआ शख़्स लिखता है ये उसका अंदाज़ है !! लब़ों पर…
पहाड़ों का भ्रमण चाय के लिए ढ़ाबे पर रूकना एक पहाड़न पहाड़ी टॉपी पहने हाथ में चाय का कप आहिस्ता छूना…
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