जीवन को दिशा नई दें
|| जीवन को दिशा नई दें || जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया, मन को सहर्ष गति फिर…
|| जीवन को दिशा नई दें || जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया, मन को सहर्ष गति फिर…
|| नारी तू भव की आधारशिला || शोभा कि नदी, सगुणों से सजी प्रेम-करुण की तू सीमा, स्तुति तेरी किन…
प्रेम बहे झरने सा तेरा || तन में सिहरन, सांसों में गतिमन भी व्याकुल, नव-जन्में सा,ऐसा अदभुत प्रेम…
|| तुम ही आधार हो ||तुमसे प्रीत की ये रीत है नयी …
सुन्दर चरित्र की कल्पना, …
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