मैं आपका कश्मीर :-
आज मैं आज़ाद हूं ३७० की बेड़ियों से,
आज मैं आज़ाद हूं अलगाववादी भेड़ियों से…
दशकों से ही मैं था आतुर मिलने हिन्द महान से,
मात-पिता से बिछड़ा हुआ था बिछड़ा अपनी जान से…
आज ही सही मायनों में मेरी पहली आज़ादी है,
आज ही सही मायनों में भारत के साथ झूम उठी पूरी वादी है…
मैं हूं आपका कश्मीर,
हां भाई हां आपका ही अपना कश्मीर…
आज मैं वाक्य वाक्ई में बहुत खुश हूं,
नहीं रख पा रहा कोई भी अंकुश हूं…
मुझे १०० फीसदी यकीन है कि मेरे हालात जल्द ही सुधरेंगे,
जल्दी ही मेरे शुभचिंतक देशद्रोहियों को धरेंगे…
अब मेरा झंडा भी तिरंगा है,
और मेरी जननी भी गंगा है…
मिट जाएगा इस घाटी से अब आतंक का नामोनिशान,
लहराएगा सिर्फ तिरंगा यहां जो होगा हिन्द की आन, बान और शान…
अब मेरे सीने पे नहीं खेली जाएंगी खून की होलियां,
अब नहीं भर पाएंगी खूनी दरिंदों की झोलियां…
कुछ स्वार्थी गद्दारों की वजह से मैं ७० सालों से भटक रहा था,
भारत का अंग हूं मैं या किसी और का, इसी दुविधा में लटक रहा था…
मगर अब मुझे दिशा मिल गई है,
मेरी मुरझाई हुई सूरत खुद-ब-खुद खिल गई है…
शुक्रिया करता हूं मैं तहेदिल से हिन्द के सपूतों का,
जिनकी बदौलत मेरी कैद हुई तक़दीर फिर खुल गई है…
अब नहीं बंटने दूंगा मैं खुद को मज़हब के नाम पे, बहुत मुझे अब तक बांटा है,
अब नहीं बनेगा ये कश्मीर राजनीति की प्यादा, ये मेरा पक्का वादा है ।
गीता भी पढ़ेंगे यहाँ, कुरान की आयत भी होगी,
गुरु ग्रंथ साहेब व बाइबल साथ में, इंसानियत की इबादत बस होगी ।
जय हिन्द !
शब्दावली संग्रह प्रयास – अभिनव ✍🏻
उभरता कवि आपका “अभी”
(मेरी डायरी के पन्नों से – आपकी खातिर)