मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है।
ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है।
किसी गाँव, किसी बस्ती में, एक छोटा सा मकान।
एक टूटी सी चारपाई, जमीं पर रखा कुछ सामान।
रात को बहुत सारे सपने देखना, खुली आँखों से।
फिर हर सुबह जल्दी उठकर, ढूंढना कोई काम।
क्योंकि परिवार के लिए, शाम को रोटी जो लानी है।
ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है।
थोड़ा राशन की उधारी, थोड़ा कर्ज उसके नाम पर।
एक झोला, लेकर निकल जाना हर रोज काम पर।
काम मिल गया तो होंठो पर मुस्कुराहट लाखों की।
वरना मायूस चेहरा, बैठता नुक्कड़ की दुकान पर।
घर जाए कैसे खाली हाथ, बच्चों से नज़र मिलानी है।
ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है।
चमकती तेज धूप, भूख, प्यास, सहन कर जाता है।
बारिश व जाड़ा भी, मेहनत के पसीने से डर जाता है।
घर को संभालते, बच्चों की परवरिश करते- करते।
वो एक रोज देखा हुआ ख़्वाब भी, कहीं मर जाता है।
इसने अपनी पूरी ज़िन्दगी शायद ऐसे ही बितानी है।
ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की सच्ची कहानी है।