मै ही इश्क हूं,मै ही मौहब्बत हूं
मै ही प्यार और मै ही एतबार हूं
मै ही नशा हूं ,मै ही नशेड़ी हूं
मै ही कल हूं और मै ही आज हूं
मै ही घर हूं,मै ही परिवार हूं
मै ही माता और मै ही पिता हूं
मै ही सूरज हूं ,मै ही चांद हूं
मै ही दिन और मै ही शाम हूं
मै ही जीत हूं ,मै ही हार हूं
मै ही कला,मै ही कलाकार हूं
मै ही जीवन हूं मै ही मरण हूं
मै ही सांस और मै ही खास हूं
इक रोज समझना मुझे तुम
मै ही दु:ख और मै ही सुख हूं
मै ही हूं और बस मै ही हूं
क्योकिं मै ही तुम,मै ही आप हूं
मै ही कविता हूं,मै ही किताब हूं
क्योंकि मै ही तुम्हारे साथ हूं
क्योंकि मै ईश्वर हूं ,मै ही खुदा हूं।।
मै ही हूं – अजय कीर्ति – इश्क का राही
Related Posts
अजय कीर्ति छद्म रचनाएँ – 6
अल्फ़ाज़ तो महज़ एक हवा का झोंका हैहमने तो बेवक्त भी जग को बदलते देखा है अजय…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर युवा…
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की बेटी बन आई हूं मै जिस आशियाने के आँगन में ।बसेरा…
तेरे शहर की हवाओं का रूख देखा है हमने
तेरे शहर की हवाओं का रूख देखा है हमनेहर गली-मौहल्ले की दिवारों को सुना है हमने…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
राम राज्य – कविता अभिनव कुमार
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे । नस नस में राम,बसे हर कण…
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 18
मनुष्य को फूलों के विकास पर ध्यान देना चाहिए फल तो अपने आप लग जाएंगे| अज़य महिया…
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ के…
जिद है अगर तो जीतोगे
जिद है अगर तो जीतोगे उठ तैयार हो फिर हर बार, जितनी बार भी तुम गिरोगे, जिद…
दशहरा – कविता
दशहरा(स्वरचित - अभिनव ✍️) सूख शांति का पर्व,हमें इस पे गर्व ।…
बन जाऊं मैं काश …. जैसे योगी कुमार विश्वास
बन जाऊं मैं काश …. जैसे योगी कुमार विश्वास … बन जाऊं मैं काश,जैसे योगी कुमार…
समय का पहिया
समय का पहिया मानो तो मोती ,अनमोल है समय नहीं तो मिट्टी के मोल है समय कभी पाषाण…
मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की…
कलम – (कविता) अभिनव कुमार
कलम ✍🏻 छोटी बहुत ये दिखती है, प्रबल मग़र ये लिखती है,बड़ों बड़ों को…
प्रार्थना – आए सद्बुद्धि
प्रार्थना - आए सद्बुद्धि… सन्यासी "साधु",है देश का जादू । संस्कृत…
आऊंगा जरूर – अज़य कीर्ति
तुम्हे मिलने मै आऊंगा जरूरकभी राम बनकरकभी कृष्ण बनकरकभी सीता बनकरकभी राधा…
प्रेम एक स्वछंद धारा
प्रेम एक स्वछंद धारा एक प्रेम भरी दृष्टि और दो मीठे स्नेहिल…
ये हाड़-मांस की कैसी भूख
ये हाड़-मांस की कैसी भूख ये हाड़-मांस की कैसी भूख !मृग-तृष्णा ये, दूर का सुख,मत…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 12
उत्तम कितने भी हों विचार,सार्थक तभी जब दिखे प्रभाव,झलक दिखे गर आचरण में तो,कथनी…