महात्मा गांधी…अहिंसक आंधी …
छोटी सी कद काठी थी,
हाथ में उनके लाठी थी ।
करमचंद गांधी नाम था,
प्राथमिक उन्हें आवाम था ।
वकालत की पढ़ाई की,
ना कभी अपनी बड़ाई की ।
ना दिल्ली ना पटना थी,
साउथ अफ्रीका की घटना थी ।
उनपर डंडे बरसाए गए,
रेल के डिब्बे से भगाए गए ।
कारण रंग भेदभाव था,
हरा हुआ तब घाव था ।
उस पल ने झकझोर दिया,
अंदर अंदर तोड़ दिया ।
जीवन को नया मोड़ दिया,
उनको देश से जोड़ दिया ।
तब से मन में ली थी ठान,
बैरिस्ट्री से पहले देश की आन ।
अहिंसा के पुजारी थे,
लाखों पे वे भारी थे ।
कच्चा नहीं इरादा था,
पूरा किया जो वादा था ।
आज़ादी के दीवाने थे,
ऐसे नहीं वे माने थे ।
हाथ में ना हथियार थे,
प्यार के बस औज़ार थे ।
माथे पे हिन्द की माटी थी,
हरदम प्रीति बांटी थी ।
अपने दम पे लड़ाई की,
अहिंसा से शत्रु पे चड़ाई की ।
कई उन्होंने किए आंदोलन,
साथ में उनके थे लाखों जन ।
सच्चे सीधे साधे थे,
पूरे देश को बांधे थे ।
स्नेह से गहरा नाता था,
वे थे या फ़िर विधाता था ।
तन पे बस एक धोती थी,
अदभुत उनमें ज्योति थी ।
छवि साफ़ और सूथरी थी,
हरदम कोमलता उभरी थी ।
करुणा के वे सागर थे,
कोमलता में उजागर थे ।
साबरमती के संत थे,
संयम में वो अनंत थे ।
स्वदेशी उनके खून में था,
चरखा उनके जुनून में था ।
खादी से उनको लगाव था,
उदारता का निर्मल बहाव था ।
कथनी उनकी करनी थी,
अपनाई जो दुख हरनी थी ।
उनके अजब उसूल थे,
पथ प्रदर्शक थे मूल थे ।
जीवन संगिनी कस्तूरबा थीं,
सखा थीं वो और दुर्गा थीं ।
उनकी प्रबल सहयोगी थीं,
तपस्वी थीं और जोगी थीं ।
देशभक्ति के तूफ़ान थे,
ज़हन में काफ़ी उफ़ान थे ।
कई बार गए वे कारागार,
सहन करे कई अत्याचार ।
अंग्रज़ों को खदेड़ा था,
प्रेम से अनशन छेड़ा था ।
दुश्मन ने घुटने टेक दिए,
उन्होंने विचार जब नेक दिए ।
ब्रिटिशर्स ने उन्हें सम्मान दिया,
पूरे जगत ने गुणगान किया।
‘महात्मा’ से उनको नवाज़ा गया,
समाधि जो ली तो ख़्वाजा गया ।
हरिजनों को उठाया था,
गले से अपने लगाया था ।
उनका उद्देश्य एक देश समान लोक था,
ना कि विषैले आरक्षण का दुरुपयोग था ।
राजनेता गर समझ जाते भाव,
तो आज ना भुगतने पड़ते ये दुष्प्रभाव
माना वे महान थे,
वे भी मगर इंसान थे ।
गोली लगी ये प्रश्न चिन्ह है ?
काश समझा जाए गर कोई जिन्न है !
‘राष्ट्रपिता’ की मिली उपाधि,
थे वो सबके आदर्शवादी ।
उनके जो तीन बंदर थे,
असल में वे सिकंदर थे ।
अच्छाई के प्रतीक थे,
दे गए सच्ची सीख वे ।
उन्हीं की राह पे मोदी जी हैं,
स्वच्छता की नींव बो दी है ।
उनको मेरा शत शत नमन,
काश कि हो हर तरफ़ अमन ।
उभरता कवि आपका “अभी” (अभिनव ) ✍