कविता

कर्मवीर – कविता अभिनव कुमार

कर्मवीर

कर्मवीर,
यानि कर्मशील,
कर्मठता पुरुषार्थ सहित,
हिन्द हुआ इनपर गर्वित ।   (४)

ये जैसे कि साहसी योद्धा,
जीवनदायी निर्मल पौधा,
ये खिलाड़ी, हम सब श्रोता,
उत्तरदायित्व से ना समझोता ।   (८)

फ़ौजी रहता सरहद पर,
ये रक्षक मेरे अंदर,
अपनी जान हथेली पर,
मेरा ये परमेश्वर ।            (१२)

इसकी महिमा अपरमपार,
तप का इसमें है अंबार,
बड़ा अहम इसका किरदार,
ये जैसे मेरी तलवार ।         (१६)

सेना ने लिया संज्ञान,
दिल से व्यक्त किया सम्मान,
गदगद ख़ुश सारा आसमान,
नाज़, हर्ष, बेहद अभिमान ।    (२०)

पुष्प वर्षा कर ज़ाहिर जज़्बात,
जैसे हो सवगत बारात,
अद्भुत नज़ारा प्रातः प्रभात,
हो ऊंचा मनोबल, दी सौगात ।   (२४)

आभार प्रकट, किया धन्यवाद,
बोले – “हिन्द है आपके साथ”,      
दिल से दिल का था संवाद,
गहरी की एका की खाद ।     (२८)

अनुग्रहित थे लड़ाकू विमान,
की फ्लाई पास्ट, अचंभित जहान,
दृश्य अनुपम, था कांतिमान,
नतमस्तक समक्ष देश की आन ।   (३२)

लाजवाब बेजोड़ था माध्यम,
उत्साह भरपूर, भरसक दमखम,
आँखें भावुक, समर्पित और नम,
मानो समय स्थिर, गया था थम ।   (३६)
 
काबिल-ए-तारीफ़ वो होंसला अफजाई,
चारों तरफ़ बस थी अच्छाई,
नमन करे जैसे परछाई,  
धरती पर आ गई ख़ुदाई ।       (४०)

उस जज़्बे को किया सलाम,
हाथ जोड़े सिख हिन्दू इस्लाम,
हर जुबां पे ईश्वर नाम,
नफ़रत को लग गया विराम ।     (४४)

थी मिसाल, ये था आदर्श,
नभ ने धरा को किया स्पर्श,
थी शुक्रगुज़ारी, और था उत्कर्ष,
कर्मवीर रणधीर, ये ही निष्कर्ष,
कर्मवीर रणधीर, ये ही निष्कर्ष ।    (४९)

स्वरचित – अभिनव ✍🏻
उभरता कवि आपका “अभी”

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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