कान्हा…धरा पर जल्दी आना
द्वापर युग,
अवतरित युगपुरूष,
कान्हा जन्म,
माह भाद्रपद ।। ८
देवकी से उत्पन्न,
अवतार विष्णु भगवन,
यशोदा माँ ने पाला,
गोकुल नंद लाला ।। १३
अद्भुत बाल्यकाल,
शक्तियाँ अपार,
राक्षसों का वध,
सटीक उद्देश्य पर ।। १०
अदम्य साहस,
पराक्रमी बालक,
शरारतें असीम,
भोलेपन की नींव ।। ९
सामान्य व्यवहार,
मित्र संसार,
ना अमीरी ग़रीबी,
थे सुदामा करीबी ।। १०
देते मटकी तोड़,
माखन चोर,
ग्वालों संग खेल,
हर पहलू उल्लेख ।। ११
निष्काम प्रेम,
ना छल फ़रेब,
राधा संग रास,
आस्था विश्वास ।। १०
निर्दयी कंस,
किया विध्वंस,
बने द्वारकाधीश,
कान्हा कृष्ण ।। ८
महाभारत रण,
अर्जुन विजयी भव,
गीता उपदेश,
कर्तव्य हों श्रेष्ठ ।। १०
परम ज्ञानी,
प्रभावशाली,
कुशल राजनीतिज्ञ,
शक्ति दूजे के लिए ।। ९
मिलती प्रेरणा,
जीने की कला,
सदैव कर्म,
के पथ पर चल ।। ११
उनके जन्म की खुशी,
हर नगरी है सजती,
हर्षित मनाते प्रतिवर्ष,
जन्माष्टमी पर्व ।। १३
दे गए कान्हा वचन,
जब बढ़ेंगे ज़ुल्म,
पाप करने ख़त्म,
कृष्ण आएंगे ख़ुद ।। १३
उनके जीवन से जुड़ी,
हर घटना व कड़ी,
कोशिश – हो उजागर,
प्रयत्न – गागर में सागर ।। १५
(सम्पूर्ण कविता – १५० शब्द)
स्वरचित – अभिनव कुमार ✍🏻