कविता

जीवन को दिशा नई दें

|| जीवन को दिशा नई दें ||


जीवन को जो सहज बनातीसृष्टि की अनुपम काया, 

मन को सहर्ष गति फिर देतीप्रकृति की अविरल छाया |
जगत का सारा भार लिए दाय जैसे कोई निभा रहे,

वायु, वृक्ष, ये धरा हमारी बिगुल हैं जैसे बजा रहे |
पंछी भी हैं मित्र हमारे झरने, नदियाँ, ये सागर भी,

वन, पवन और पर्वत भी प्रत्याशा हमसे हैं कर रहे |
आओ सभी हम मिल जुलकर जीवन को एक दिशा नई दें,

प्रकृति के हर उपहार को हम पुनः फिर संरक्षित कर लें |

<p class="yiv5216034307MsoNormal">आशीष आवले शांत एवं सरल मन के व्यक्ति हैं | वह हमेशा जीवन को एक नए नज़रिये से देखना का प्रयत्न करते हैं और प्रकृति के करीब रहने में सुखद अनुभव करते हैं |</p> <p…

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