कविता

जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील

जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील,
तबसे उसी पल से हो गया हूँ उसके प्यार में इल,
तू भी करदे आज अपने प्यार को रिवील,
अब से मैं ही भरूंगा तेरे मोबाइल का बिल,

जाके कह दो मम्मी और पापा से,
जिनसे मिलती नहीं थी नजर मिल गया हैं “दिल” !!!

तेरे पापा से डन करादे यह मेरी डील,
की बना सकू मैं तेरे साथ इंस्टा रील !!
अब मेरी जिंदगी में भी चाहिए एक डेविल,
करे हर ज़ख्मो को हील, बनाए दो वक़्त का मील !!

जाके कह दो मम्मी और पापा से,
जिनसे मिलती नहीं थी नजर मिल गया हैं “दिल” !!!

अब बस तेरे साथ ही, करना है जिंदगी भर चिल,
फिर चाहे शिमला – मनाली हो या फिर ब्राज़ील !
तू मेरी आखरी है विल, तुझे पाना ही मेरी मंज़िल
तू ना मिलेगी तो अपनी ज़िन्दगी कर लूँगा किल !!

जाके कह दो मम्मी और पापा से,
जिनसे मिलती नहीं थी नजर, मिल गया हैं “दिल” !!!

गिरा दूंगा तेरे मेरे बिच की हर दीवाल हो या हिल,
तू मिले या ना मुझे बट “आई लव यू” स्टील !
तुझसे करता हूँ वादा, करूँगा तेरी हर विश फुलफिल,
रहेंगे साथ जनम जनम, जैसे पत्ते मे क्लोरोफिल !!

जाके कह दो मम्मी और पापा से,
जिनसे मिलती नहीं थी नजर मिल गया हैं “दिल” !!!

शशिधर तिवारी "राजकुमार" एक सिविल इंजीनियर विद्यार्थी हैं जो मुंबई से पढ़ रहे हैं .वे इस नए दौर के कवि हैं जो समाज चल रहे अभी के माहौल और कॉलेज की गतविधियों पर कविता लिखना पसंद करते हैं. प्यार, मोहब्बत, दोस्ती ऐसे सभी मुद्दे पर अक्शर कविता लिखना…

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