कविता

हिंदी दिवस के विचार – ‘अभिनव’ सार

जिन्हें याद नहीं पूर्ण वर्णमाला,
उन्हें हिंदी दिवस की शुभकामना ।

उपरिलिखित से मैं भी अछूता नहीं हूं,
यकीन मानिए, मैं भी अधूरा हूं, पूरा नहीं हूं ।

आपके ही ऊपर उंगली नहीं उठा रहा हूं,
खुद को भी दोषी ठहरा रहा हूं,
काश हिंदी तू इतनी बदनसीब ना होती,
तेरी कद्र हर एक को होती ।

हिंदी सदैव अपनाएं हम,
शुरुआत हो, जबसे हो जन्म,
राष्ट्र-प्रेम झलकाती ये है,
इसके संग रंग जाएं हम ।

खुद के विचार, ‘अभिनव’ सार

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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