कविता

कोरोना – सीख

कोरोना – सीख

कोरोना दे रही ढेरों सीख,
नए पाठ हर तारीख ।

रहें हमेशा हम सब स्वच्छ,
रोगों से फ़िर जाएंगे बच ।

ना घबराएं, करें सजग,
हड़बड़ाहट से रास्ता भटक ।

चकाचौंध छोड़ बनें सहज,
षड्यंत्र का हो तहस नहस ।

हाथ से बेशक ना मिलें हाथ,
हाथ जोड़ नमस्ते से संवाद ।

दिल से जाएं मिल सब दिल,
ईर्ष्या सहायता में हो तब्दील ।

आपस में करें सब सहयोग,
ना शिकवा गिला, बस विनोद ।

कुछ के लिए ना हो पक्षपात,
सब ईश से बने, सबकी एक जात ।

सारे करें मिल जुलकर काम,
ज़िम्मेदारी सबपर, सबको ईनाम ।

मालिक बन जाए मार्गदर्शक,
विश्वास भरपूर, छल पर ही शक ।

मूकदर्शक हो जाएं औझल,
नीयत जैसे साफ़ जल ।

बहुत हो गया अकेलापन,
अब लाना है अपनापन ।

मलिन राजनीति हो जाए लुप्त,
पारदर्शिता अब ना रहे गुप्त ।

स्वरचित – अभिनव ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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