भूखमरी-: करें गरीबों का पेट भरने की पहल
विकासशील भारत के लिए भुखमरी एक चिंता का विषय है। मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएं होती है- रोटी, कपड़ा और मकान। जिनमें व्यक्ति कपड़ा और मकान के बिना रह भी सकता है परंतु रोटी (खाने) के बिना नहीं रह सकता, लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी भारत की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा भुखमरी का शिकार है। ऐसे न जाने कितने लाखों लोग रोजाना बिना खाए ही सो जाते हैं।
सोचने वाली बात यह है कि एक तरफ शादी पार्टी होटलों में इतना खाना बर्बाद कर दिया जाता है दूसरी तरफ न जाने कितने लोग भूख से तड़प तड़प कर दम तोड़ देते हैं। शादी पार्टी हो या घर अन्न की बर्बादी तो जैसे लोगों की आदत बन गई है, कहीं भूख है तो कहीं खाने की बर्बादी। लेकिन इसके प्रति हमारी भी कुछ जवाबदेही बनती है। सरकार के प्रयासों के साथ साथ हम भी भुखमरी को कम करने में अपना योगदान दे सकते हैं।
कैसे करें पहल
हम भारत के नागरिक हैं और प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है कि देश में रहते हुए उसकी बुनियादी जरूरतें पूरी हो सके। यहां तक कि कम से कम दो वक्त की रोटी तो उन्हें नसीब हो सकें। शायद आपको जानकर हैरानी होगी हमारे देश में 20 करोड़ लोग भूखे रहते हैं। दूसरी तरफ 40% खाना बेकार हो जाता है। ऐसा नहीं है कि देश में खाने की कमी है बस जरूरत मंदो तक पहुंच नहीं पाता। हम बहुत खुश नसीब है कि हमें तीनों समय का खाना नसीब होता है हमें ऐसे लोगों के बारे में सोचना होगा जिंहें कई कई दिनों तक खाना नसीब नहीं होता।
अगर आपके घर में पार्टी या शादी में बहुत सारा खाना बच जाता है तो उसे फेंकिए मत, 15 मिनट का समय निकालकर गरीब लोगों में बांट आइए। देखिएगा यह काम करने से आपको कितना सुकून मिलेगा। प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि प्लेट में उतना ही खाना लें जितना आप खा सकते हो। किसी भी समारोह में जाने पर कुछ लोग इस बात की जिम्मेदारी ले सकते हैं कि बचा खाना गरीबों तक पहुंच सके। घर में उतना ही खाना बनाएं जो कि बिगड़े नहीं।
कई संस्थाएं कर रही है काम
गरीब लोगों तक खाना पहुंचाने का काम कहीं संस्थानों द्वारा किया जा रहा है। रॉबिनहुड आर्मी, फीडिंग इंडिया, रोटी बैंक आदि। इसमें रॉबिनहुड आर्मी ऐसे लोगों की संस्था है जो रेस्टोरेंट से खाना खट्टा करते हैं और गरीब लोगों में बांट देते हैं। फीडिंग इंडिया के स्वयंसेवक शादियों के आयोजनों और कॉपरेटिव कैंटीन और घर से बचे हुए खाने को इकट्ठा करके भूखों को खिलाते हैं। एक पहल मुंबई में भी डिब्बा वालों द्वारा की गई है इन लोगों ने रोटी बैंक की शुरुआत की है। कई सोसाइटी भी इस अभियान में आगे आयी हैं घर में बचने वाली रोटियों को इकट्ठा करके गायों को खिला दी जाती है। केंद्र सरकार भी होटल रेस्टोरेंट में पोर्शन कंट्रोल करने की तैयारी कर रही है। कुछ सोसाइटी में समारोह में बनने वाले खाने के आइटम को सीमित कर दिया गया है।
अनेक महिलाओं द्वारा अनेक समितियों का गठन किया गया है जिसमें वह शादी, विवाह व अन्य समारोह में जाकर खाने की बर्बादी रोकने की अपील करती हैं। खाने की बर्बादी को रोकने के लिए समितियां नए-नए उपाय कर रही हैं। इन समितियों के सदस्य समारोह में जाकर देखते हैं कि किसी की प्लेट में खाना तो नहीं बचा है खाना बचने पर उन्हें बर्तन साफ करने का दंड दिया जाता है। इसी तरह बहुत से लोग भुखमरी को कम करने में और गरीबों तक खाना पहुंचाने में मदद कर रहे हैं।
अमीर लोगों को तो इस बात का एहसास ही नहीं है कि हमारे देश में कितनी गरीबी, बेरोजगारी और भूखमरी है। दिखावे के लिए न जाने कितने लोग समारोह में न जाने कितने आइटम्स बनवाते हैं जबकि उनका कोई औचित्य नहीं है, लोग केवल गिने चुने आइटम ही खाते हैं और जो नहीं खाया जाता उसे
बर्बाद कर देते हैं। इसीलिए समारोह में सीमित आइटम्स बनवाने चाहिए। दिखावे में किसी की दुआ नहीं मिलती लेकिन किसी का पेट भरने में जो दुआ है और जो सुकून मिलता है वह आपको गरीब लोगों को खाना खिलाने के बाद ही महसूस होगा।