अभी हाल ही में क्रिकेट ओर हाॅकी की दो वि’वस्तरीय प्रतियोगिताएं सम्पन्न हुई। जहाॅ क्रिकेट में भारतीय टीम प्रतियोगिता को जीत की अर्’ा पर पहुॅच गई तो दूसरी ओर भारतीय हाॅकी टीम छठवें स्थान पर रहकर फर्’ा पर पहुॅच गई।
भारतीय हाॅकी के स्र्वणिम अध्याय औेर इसे रा”ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त होने के कारण हाॅकी आज भी हम भारतीयों के लिये रा”ट्रीय सम्मान का प्र’न बना हुआ है। क्रिकेट में जीत के बाबजूद वो आत्मीयता और जो’ा नहीं आ पाया है जो कि, भारतीय हाॅकी में पराजय के बाद हमें अंदर से दुःखित कर देता है। यद्यपि हाॅकी प्रेमी अब हाॅकी टीम से किसी चमत्कार की आ’ाा नहीं करता हैे लेकिन हमे’ाा यही आ’ाा करता है कि, ‘ाायद कभी कोई चमत्कार हो औेर हम अपने स्र्वणर््िाम की ओर कुछ कदम बढा सके। यह आ’ाा ‘ाायद हमारी स्वैरकल्पना ही है। बहरहाल।
हाल ही में हाॅलेंड में सम्पन्न वि’व हाॅकी लीग में भारतीय टीम बमु’िकल छठवां स्थान ही प्राप्त कर सकी। वैसे परिणाम के बारे में आयरलेंड के साथ हुये पहिले ही मैच में आभास हो गया था जब, आयरलेंड की टीम ने भारत पर चार गोल कर दिये थे। भारतीय टीम बडी मु’िकल से बराबरी कर पाई थी। फिर भी टीम ने कोई सबक नहीं सीखा ओर दूसरे मैच में न्यूजीलेंड की टीम ने भारत को 2-2 की बराबरी पर रोंक दिया। भारत का न तो डिफेंस ओर न हीं आक्रमण स्तरीय था। इन दोनों पराजयों ने भारतीय टीम को सेमीफाॅयनल की दौड से बाहर कर दिया और उसे स्थानक्रम के मैच खेलने पडे। जिसमें भारत ने प्रतियोगिता की एक मात्र जीत ( सान्तवना जीत) प्राप्त हुई जिसमें उसने फाॅ्रस की अपेक्षाकृत कमजोर टीम को 6-1 से पराजित किया। पाॅचवें औेर छठवें स्थान के लिये हुये मैच में वो स्पेन केेहाथों 2-4 से पराजित हुई। इस पराजय ने भारतीय टीम को वि’व कप में सीधे प्रवे’ा का मार्ग बंद की दिया। अब उसके लिये वि’वकप में प्रवे’ा अगस्त में होने वाले ए’िाया कप को जीतने पर ही मिल सकेगा। यह अत्यन्त दर्दनाक हैे कि, कभी हाॅकी के सिरमौर रहे दे’ा को वि’वकप ओर ओलम्पिक प्रतियोगिताओं में प्रवे’ा पात्रता हासिल करने के लाले पड गये है।
उधर भारतीय क्रिकेट निरन्तर उचाॅईयों को छू रहा हेै। पिछले दिनों हुये फिक्सिंग विवाद को पीछे छोडते हुये जिस प्रकार भारतीय टीम बाहर आई ओर पूरी प्रतियेगिता में एक मात्र अविजित टीम बन कर अतिंम चेंम्पियन्स प्रतियोगिता जीती उसकी जितनी भी तारीफ की जाये कम है। उसने सभी मैच बडी ही आसानी से जीते। उसकी बल्ेलबाजी, गेंदबाजी जो कभी उसका सबसे कमजोर पक्ष हुआ करता था ओर क्षेत्र रक्षण तीनों ही क्ष्ेात्रों में बेहतरीन प्रर्द’ान किया।
यदि कहा जाये तो प्रतियोगिता का फाॅयनल मैच सर्वश्रे”ठ मैच कहा जायगा। वर्”ाा बाधित मैच 50 के स्थान पर 20 ओवर का कर दिया गया। जिसमें बल्लेबाजी के लिये अत्यन्त वि”ाम परिस्थति में भारतीय टीम केवल 129 रन ही बना सकी। भारतीय युवा बिग्रेड ने भारतीय टीम को कुछ सम्मान जनक स्कोर तक पहुॅचाया। बाकी का ‘ो”ा काम भारतीय गेंदबाजों ओैर बल्लेबाजों ने पूरा कर दिया। 17 वें ओवर तक इंगंलेंड की सुनि’िचत जीत को गेंदबाजों और क्षेत्र रक्षकों ने भारत की झोली में डाल दिया।
कतिपय अन्य विवादों ने पिछले दिनों भारतीय टीम के प्रदर्’ान पर असर डाला था। इस बेहतरीन जीत ने कुछ सीनीयर खिलाडियों को यह भ्रम को भी तोड दिया कि, उनके बिना जीत हो ही नहीं सकती। वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर, का अब श्रे”ठतम विकल्प ’िाखर धवन और रोहित ‘ार्मा के रुप में हमें मिल गया है वहीं दूसरी ओर भूवने’वर कुमार औेर उमे’ा यादव ने भारतीय तेज आक्रमण को पूरी तरह नियंत्रित कर लिया है। उनके साथ कुछ अनुभवी इ’ाांत ‘ार्मा साथ हैं हीं। इन दिनों रवीन्द्र जडेजा और अ’िवन की स्पिन जोडी बहुत अच्छा प्रदर्’ान कर रही है।
एसा भारतीय क्रिकेट मे पहिली बार देखने में आ रहा हैे कि, अब सीनीयरों केा इन युवा और जाॅबाज खिलाडियों की असफलता ही भारतीय टीम में जगह दिलवायेगी। अब केवल बडा नाम टीम में जगह दिलवाने के लिये पर्याप्त नहीं रह गया है। अब अपने नाम को श्रे”ठ प्रदर्’ान के आधार पर ही सार्थक कर दिखाना होगा। आज भारतीय क्रिकेट में एक एक विधा के लिये कई कई युवा खिलाडी दस्तक दे रहे है। इसका श्रे”ठ उदाहरण संजू सेमसन हैं। यदि सुरे’ा रेना असफल होते है तो वे उनका स्थान लेने के लिये बिल्कुल तैयार है।
आज जो युवाखिलाडी आ रहे हेै उसमें आई.पी.एल का बहुत बडा योगदान है। इसलिये क्रिकेट के हित में यह आव’यक होे गया है कि, आई.पी.एल में जो भी बुराईयाॅ उत्पन्न हो रहीं हेै उनका सार्थक निराकरण किया जावे ताकि, सुवा खिलाडियों के लिये इस श्रे”ठतम वातावरण को नई उॅचाईया मिल सके।