बन जाऊं मैं काश …. जैसे योगी कुमार विश्वास …
बन जाऊं मैं काश,
जैसे योगी कुमार विश्वास,
हरदम यही आस…
हरदम यही आस । 4
आ जाए मुझमें प्रकाश,
उन जैसा कि काश,
भरसक प्रयास …
भरसक प्रयास । 8
ना किंचित अंध विश्वास,
है लबालब आत्म विश्वास,
इसलिए वे हैं ख़ास…
इसलिए वे हैं ख़ास । 12
करता हूँ मैं अभ्यास,
होता भी हूँ निराश,
मैं थल, वे आकाश…
मैं थल, वे आकाश । 16
वे जैसे कि पलाश,
कद्र जानें हर श्वास,
ना तुलना, वे पचास …
ना तुलना, वे पचास । 20
ना करते कभी परिहास,
दें मनोबल, जो हो हताश,
हरदम मेरे पास …
वे हरदम मेरे पास । 24
मनमौजी और बिंदास,
मस्ती संग हर्षोल्लास,
मैं उनका हूँ दास …
मैं उनका हूँ दास । 28
हैं रोचक उपन्यास,
रच रहें हैं इतिहास,
वे मखमल, ना कपास …
वे मखमल, ना कपास । 32
झेले होंगे खूब वनवास,
सुनी होंगी भी बकवास,
हीरे निकले, जब गया तराश …
हीरे निकले, जब गया तराश । 36
ना चाहें भोगविलास,
लिया जैसे है सन्यास,
शांति ली अब तलाश …
शांति ली अब तलाश । 40
त्यागा है तख्तोताज,
सुनें ज़मीर की आवाज़,
हिन्द को इनपर नाज़ …
हिन्द को इनपर नाज़ । 44
अद्भुत इंका है अंदाज़,
मन जैसे शोभन लिबास,
क्या कहने – शाबाश …
क्या कहने – शाबाश । 48
विनम्र जैसे कि अब्बास,
सीधे सच्चे हैं सुभाष,
करें कुरीतियों का नाश …
करें कुरीतियों का नाश । 52
अपकारों का इनसे निकास,
उपकारों का इनमें निवास,
भले मानस डॉ विश्वास …
भले मानस डॉ विश्वास । 56
ना होते, ना करते संत्रास,
विचार खुल्ले, ना कारावास,
कुएं जैसे बुझाते प्यास …
कुएं जैसे बुझाते प्यास । 60
लिखा उपरोक्त सब होशोहवास,
मैं गुलाम, वे इक्का ताश,
ना मिले तो क्या दूरभाष …
ना मिले तो क्या दूरभाष ! 64
आत्ममंथन – अभिनव ✍🏻
उभरता कवि, आपका “अभी” 🙏🏻