सुंदरता दिल से होती है
दिल सुंदर तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड भी
सुंदर दिखाई देता है
दिमाग का केंद्र बिंदु
बाहरी सुंदरता पर टिका होता है
वह नापता रहता है
देह की लंबाई,परिधि
उभारों मे
और उलझा रहता है
अपनी गणित के
प्रमेय और कठिन सवालों मे…
नहीं परख पाता वह
भीतरी सुंदरता को..