सीता माता को ना छूना रावण की “महानता” नहीं मज़बूरी थी |

सीता माता को ना छूना रावण की “महानता” नहीं मज़बूरी थी |

हर साल हम दशहरा पर रावण के “महान” होने की गाथा सुनते है | और सोशल मीडिया पर तो रावण के “संस्कारो” की तारीफ करते लोग नहीं थकते |

इसमें सबसे बड़ी बात बोली जाती है की रावण ने सीता माता का अपहरण तो किया था पर उनको छुआ तक नहीं था | यह बात सत्य जरूर है पर ये आधा सच है | अगर रावण सच में इतना महान था तो वो माता का अपहरण ही क्यों करता?

इसके पीछे का कारण वो श्राप है जो रावण को नलकुबेर ने दिया था |

रावण को नलकुबेर का दिया हुआ श्राप |
रावण चाह कर भी सीता माता या किसी और भी स्त्री को जबरदस्ती नहीं छू सकता था | वर्ना नलकुबेर के श्राप से वो भस्म हो जाता | इस बात का उल्लेख वाल्मीकी रामायण के उत्तराकाण्ड में अध्याय 26, श्लोक 39-46 में मिलता है |

प्रसंग यह है की एक बार रावण विश्व विजय के अभियान में व्यस्त था और एक दिन वो अपनी सेना के साथ एक पहाड़ पर विश्राम कर रहा था| तभी उसकी नज़र रम्भा पर पड़ी | उसने रम्भा से आपत्तिजनक प्रश्न किये और जबरदस्ती करने की कोशिश की | रम्भा ने रावण को समझाया की रावण के बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए आरक्षित है | इसलिए वो रावण की पुत्रवधू के समान है।

इस पर भी रावण कुछ नहीं माना और उसने रंभा के साथ दुराचार किया। जब यह बात नलकुबेर को लगी तो बहुत क्रोधित हुआ और रावण श्राप दिया की यदि उसने किसी स्त्री की मर्जी के बिना उसको हाथ लगाया तो उसके १०० टुकड़े हो जायेंगे | इसी कारण रावण किसी स्त्री को बिना उनकी मर्जी के नहीं छूता था |

वाल्मीकी रामायण के उत्तराकाण्ड में अध्याय 26, श्लोक 39-46 में यह घटना वर्णित है |

कई दशकों से हमारे ऊपर बहुत सी गलत चीज़े थोपी जाती आ रही है | इनसे बचना बहुत जरुरी है |

उत्तराकाण्डधर्मरामायणरावण ने सीता को क्यों नहीं छुआवाल्मीकीवाल्मीकी रामायणवाल्मीकी रामायण के उत्तराकाण्ड में अध्याय 26सीता माता को ना छूना रावण की "महानता" नहीं मज़बूरी थी