।। समझ बैठे ।।
तेरी सारी ख्वाहिशों को ,
हम हमारी रहमत समझ बैठे।
तेरी होंठो की मुसकुराहट को ,
तो हम हमारी चाहत समझ बैठे ।
तेरी ज़ुल्फो की घटाओ को ,
हम हमारी अमानत समझ बैठे ।
तेरी नयनों की पलकों को ,
तो हम हमारी इबादत समझ बैठे ।
तेरी कानों की बालियो को ,
हम हमारी जमानत समझ बैठे ।
तेरी झूठी मुहब्बत को ,
हम हमारी जिंदगी समझ बैठे ।
हा गलती हमारी जो तेरे इंतजार को ,
तो हम हमारी इकरार समझ बैठे ।
हा गलती कर दिया हमने ,
सजा दो हमे जो तुम्हे अपना समझ बैठे ।
समझ बैठे , समझ बैठे ,
जो तेरी ख़ामोशीयो को ,
हम तेरा इजहार समझ बैठे ।
जो हम किसी पराए को ,
अपने दिल का ताज समझ बैठे ।
शुक्रगुज़ार हूँ मैं तेरे शब्दों का जिनसे तुने इनकार किया ;
वरना लोगो के बहकावे में ,
हम खुद को खामाखाहि कवि समझ बैठे ।
“Kuch man ki baat”
Me aaya tha Akela
Or Akela hi rah gaya
Is bhid me jane
kaha kho gaya
Me udata hu to
Muje apna koi daba jata he
Mere sapno ko koi
Kuchal sa jata he
Me kuch karna chahta hu
Kuch banker dikhana chahta hu
Koi sath to de mera
Hosla na todo mera
Me kuch karna chahta hu
Me kuch karna chahta hu……….
Kamal singh bohra
Udaipur, rajasthan
bahut khoob