राम राज्य,
बजें ढोल नगाड़े,
दुर्जन हैँ हारे,
हैं राम सहारे ।
नस नस में राम,
बसे हर कण राम,
है चारों धाम,
आठों पहर प्रणाम ।
भाई चारे की जीत,
एक नई उम्मीद,
रात गई है बीत,
आई लहर है शीत ।
अयोध्या नगरी,
दुल्हन है सजी,
खुशी सच में हंसी,
धूम घर घर मची ।
सदियों का संघर्ष,
हो रहा है सार्थक,
राम दे रहे दस्तक,
झुका सबका मस्तक ।
भेजा है न्योता,
आएं नानक मौला,
हुआ है समझौता,
हर मद को तोड़ा ।
मन रही दीवाली,
भरी सूनी थाली,
जहां नज़रें डाली,
लाल, पीली, गुलाबी ।
ख़त्म हुई प्रतीक्षा,
पूरी कसम प्रतिज्ञा,
आलोकिक दीया,
प्रकाशित किया ।
कितनी शहादत,
कितने हुए कत्ल,
आया अब फल,
कुर्बानी सफ़ल ।
जो थी कल्पना,
नमुमकिन सपना,
वो हकीकत बना,
घर रामलला ।
जन्मस्थान पे जश्न,
कलश भूमिपूजन,
सरोबार है मन,
भव्य आयोजन ।
आया शुभ दिन,
पावन पलछिन,
बाहर है जिन्न,
असंभव सम्पन्न ।
आधार शिला दी रख,
ऐतिहासिक उत्सव,
हिंदू संस्कृति पुनर्जन्म,
है स्वर्णिम अवसर ।
हनुमान जी विराजमान,
गदा और तीर कमान,
स्वागत पुष्प व हार,
जोश है बेशुमार ।
राम मेरा अस्तित्व,
राम हैं सर्वस्व,
राम मर्यादा व तप,
राम साहस संयम ।
राम को सब मानते,
राम की भी मानें,
राम चरित्र को जानें,
अपनाएं गंगा नहा लें ।
स्वरचित – अभिनव ✍🏻