रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ
रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ , जब से जग में होश संँभाला । प्रेम पुरातन याद नहीं अब, जब से छूटा साथ तुम्हारा ।। हम भूले तो तुम भी भूले, हारे की मत बाट जोहना । हम भी तेरे, माया तेरी , देर नहीं, झट मिलो मोह ना ।।
रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ , जब से जग में होश संँभाला । प्रेम पुरातन याद नहीं अब, जब से छूटा साथ तुम्हारा ।। हम भूले तो तुम भी भूले, हारे की मत बाट जोहना । हम भी तेरे, माया तेरी , देर नहीं, झट मिलो मोह ना ।।
परमवीर चक्र …वीरों का पर्व … परमवीर चक्र,जब होता ज़िक्र,सिर शान से ऊंचा,होता है फ़ख्र । 4 इक्कीस जांबाज़,को मिला ये ताज,हिन्द भाव विभोर,रक्खी जो लाज । 8 उच्च सैन्य सम्मान,त्याग व बलिदान,शूरवीरता शौर्य,वीर को ये प्रदान । 12 अरुण खेत्रपाल,एक ऐसा नाम,रोशन हुआ हिन्द,है नमन सलाम । 16 सेकेंड लेफ़्टिनेंट,अपराजित क्षण,ख़ून से लथपथ,फ़िर […]
वो कहने लगे हम सुनने लगेकिसको पता था वो इतना कह देंगेअरे! हम तो तन्हाइयों की गली मे बैठे थेकिसको पता था गली भी बेवफा निकलेगी अजय महिया – इश्क का राही इश्क तेरे दरबार से तकरार न हो,, अब मै महफुज़ हूंतेरा खुदा बख्शे जिन्दगी मेरी , मै तेरे ही मज़ार मे हूं पागल […]
सरदार पटेल की जीवनी को रचना में पिरोने का प्रयास :- सरदार पटेल,जैसे दिये में तेल,वे तेज़ गुलेल,अंग्रेज़ किए ढेर । 4 थे बहुत ही नेक,सदियों में एक,कुछ अलग चमक,था जुनून सनक । 8 गुजरात में जन्म,बचपन से ही दक्ष,थे सदैव निष्पक्ष,सटीक उपयुक्त लक्ष । 12 गए लन्दन, की पढ़ाई,बैरिस्टर की उपाधि पाई,वापस आए जब वल्लभभाई,वक़ालत […]
दुल्हन थी क्या दीवाली ? (स्वरचित – अभिनव✍) दीपावली जब बीत जाती है,एक मायूसी सी छा जाती है । रौनक ओझल हो जाती है,महफ़िल बेमन सो जाती है । सबकुछ ठहर सा जाता है,अकेलापन खाता है सताता है । दुल्हन जैसी थी सजी दीवाली,आज मगर सब खाली खाली । जैसे बेटी विदा हो जाती है,वैसे […]
इस बार दिवाली ……… इस बार दीवाली कुछ अलग है,कर रही हमें ये सजग है,,दे रही उम्मीदों की झलक है,,,ज़िंदा रहने की सिर्फ़ ललक है । इस बार सफ़ाई नहीं प्राथमिकता,पकवानों में भी मन नहीं लगता,,वेशभूषा की और अब ध्यान नहीं टिकता,,,गहनों का भी आकर्षण नहीं दिखता । ना ख़रीदारी है,ना जेब भारी है,,पटाखों की […]
छोटी दीपावली,है उतावली,,रोशन होने को,,,ख़ुद में खोने को । करे है इंतज़ार,उत्सुक बेक़रार,,बड़ी दीपावली का,,,बहना दिल वाली का । त्योहार ये दिलों का,जलते हुए दियों का,,आओ मनाएं साथ हम,,,दूर भगाएं सारा तम ।
सीधी बातों को भी उल्टा आंका,गोले बारूदों से मुझको दागा,अपने अंदर बिल्कुल ना झाँका,कुछ था नज़रिया, कुछ और ही भांपा ! अभिनव कुमार जैसे ही साझा की अपनी किताब,बदले में आलोचना का मिला ख़िताब,हक़ीक़त में बदलने चला था ख़्वाब,मुझपे ही तोहमत लगी बेहिसाब । अभिनव कुमार वैसे तो कम ही मैं करता हूँ बात,मन हुआ, […]
ये शाम भी ढल जाएगी … अपने से ज़्यादा,हो दूजे का ध्यान,,यही बस करना,,,है सबको श्रीमान । कोशिश ना बने,कोई किसी का कैरियर,,सब्र का इम्तिहान,,,सबसे बढ़िया घर । तप का मौका,कर दिखाएं सब,,ख़ुद भी रहें स्वस्थ,,,औरों को भी समझाएं हम । जाने अनजाने में,ना हो जाए गलती,,भूल सुधारें,हम जल्दी जल्दी । घूमने का क्या है […]
दशहरा(स्वरचित – अभिनव ✍️) सूख शांति का पर्व,हमें इस पे गर्व । मंगलमय वेला,आई रौनक मेला । हुआ मद का अंत,प्रेम गहन अनंत । पूरा हुआ बनवास,हुआ कुरीतियों का नाश । हर पल संयम,ना करुणा कम । करे काम नेक,और रखा विवेक । बह गई ईर्ष्या,मिली सही दिशा । भागा अन्धकार,आई मौज बहार । सद्भावना […]
मेरी नहीं बनती… मेरी नहीं बनती,ना भाई से, ना बाप से,ना तुम से, ना आप से,, ना भाभी से, ना माँ से,ना “ना” से, ना हाँ से,, ना फूफ़ा से, ना बूआ से,ना अनिष्ट से, ना दुआ से,, ना मौसा से, ना मासी से,ना सौ से, ना नवासी से,, ना साली से, ना बीवी से,ना […]
देवी के नौ रूप,आस्था की है धूप,फ़ूल है और है ये अगन,नारी शक्ति को नमन । पहला रूप शैलपुत्री,संभाले पर्यावरण और प्रकृति,ऑर्गानिक उत्पाद की वृद्धि,वैज्ञानिक महिला निधि । दूजा रूप ब्रह्मचारिणी,शिक्षा व अंतरिक्ष की यामिनी,चुनौतियों से जूझती दामिनी,हम सब इसके ऋणी । तीसरा रूप चंद्रघंटा,अंतरिक्ष व खगोलशास्त्र भी इनमें बंटा,इनसे बजा चंद्रयान-२ व मंगल मिशन […]
मै ही इश्क हूं,मै ही मौहब्बत हूंमै ही प्यार और मै ही एतबार हूंमै ही नशा हूं ,मै ही नशेड़ी हूंमै ही कल हूं और मै ही आज हूंमै ही घर हूं,मै ही परिवार हूंमै ही माता और मै ही पिता हूंमै ही सूरज हूं ,मै ही चांद हूंमै ही दिन और मै ही शाम […]
श्री लाल बहादुर शास्त्री … मुगलसराय ख़ुशक़िस्मत,हुई जैसे रहमत,खुल गए कपाट,अवतरित भू का लाल । साफ़ सुथरी छवि,आभा जैसे रवि,जन्म दो अक्टूबर,नतमस्तक अम्बर । आठ महीने बादपिता स्वर्गवास,ननिहाल में शिक्षा,वहीं बचपन बीता । सादगी से चर्चित,चाहा सबका हित,अभावों में बसर,विचार उच्च मगर । दूसरे प्रधानमंत्री,कुशल नेतृत्व के धनी,क़ाबिल व कर्मठ,विपक्ष करता था इज़्ज़त । दिया […]
टीस … देशभक्तों को सलाम एक मगर कुछ शिकवा है,मेरा जाने किसका है,हर पल ये कुछ रिसता है… या फ़िर बोलूं टीस है,ना चाहत ना रीस है,तंग कर रही कोई चीज़ है… ज़हन में चल रही उलझन है,सोच बहुत ही गहन है,भटक रहा अब ये मन है… अंदर कुछ बेचैनी है,लगता है पुश्तैनी है,बहती नहीं […]
महात्मा गांधी…अहिंसक आंधी … छोटी सी कद काठी थी,हाथ में उनके लाठी थी । करमचंद गांधी नाम था,प्राथमिक उन्हें आवाम था । वकालत की पढ़ाई की,ना कभी अपनी बड़ाई की । ना दिल्ली ना पटना थी,साउथ अफ्रीका की घटना थी । उनपर डंडे बरसाए गए,रेल के डिब्बे से भगाए गए । कारण रंग भेदभाव था,हरा हुआ तब घाव था । उस पल ने झकझोर दिया,अंदर अंदर तोड़ दिया । जीवन को नया मोड़ दिया,उनको देश से जोड़ दिया । तब से मन में ली थी ठान,बैरिस्ट्री से पहले देश की आन । अहिंसा के पुजारी थे,लाखों पे वे भारी थे । कच्चा नहीं इरादा था,पूरा किया जो वादा था । आज़ादी के दीवाने थे,ऐसे नहीं वे माने थे । हाथ में ना हथियार थे,प्यार के बस औज़ार थे । माथे पे हिन्द की माटी थी,हरदम प्रीति बांटी थी । अपने दम पे लड़ाई की,अहिंसा से शत्रु पे चड़ाई की । कई उन्होंने किए आंदोलन,साथ में उनके थे लाखों जन । सच्चे सीधे साधे थे,पूरे देश को बांधे थे । स्नेह से गहरा नाता था,वे थे या फ़िर विधाता था । तन पे बस एक धोती थी,अदभुत उनमें ज्योति थी । छवि साफ़ और सूथरी थी,हरदम कोमलता उभरी थी । करुणा के वे सागर थे,कोमलता में उजागर थे । साबरमती के संत थे,संयम में वो अनंत थे । स्वदेशी उनके खून में था,चरखा उनके जुनून में था । खादी से उनको लगाव था,उदारता का निर्मल बहाव था । कथनी उनकी करनी थी,अपनाई जो दुख हरनी थी । उनके अजब उसूल थे,पथ प्रदर्शक थे मूल थे । जीवन संगिनी कस्तूरबा थीं,सखा थीं वो और दुर्गा थीं । उनकी प्रबल सहयोगी थीं,तपस्वी थीं और जोगी थीं । देशभक्ति के तूफ़ान थे,ज़हन में काफ़ी उफ़ान थे । कई बार गए वे कारागार,सहन करे कई अत्याचार । अंग्रज़ों को खदेड़ा था,प्रेम से अनशन छेड़ा था । दुश्मन ने घुटने टेक दिए,उन्होंने विचार जब नेक दिए । ब्रिटिशर्स ने उन्हें सम्मान दिया,पूरे जगत ने गुणगान किया। ‘महात्मा’ से उनको नवाज़ा गया,समाधि जो ली तो ख़्वाजा गया । हरिजनों को उठाया था,गले से अपने लगाया था । उनका उद्देश्य एक देश समान लोक था,ना कि विषैले आरक्षण का दुरुपयोग था । राजनेता गर समझ जाते भाव,तो आज ना भुगतने पड़ते ये दुष्प्रभाव माना वे महान थे,वे भी मगर इंसान थे । गोली लगी ये प्रश्न चिन्ह है ?काश समझा जाए गर कोई जिन्न है ! ‘राष्ट्रपिता’ की मिली उपाधि,थे वो सबके आदर्शवादी । उनके जो तीन बंदर थे,असल में वे सिकंदर थे । अच्छाई के प्रतीक थे,दे गए सच्ची सीख वे । उन्हीं की राह पे मोदी जी हैं,स्वच्छता की नींव बो दी है । उनको मेरा शत शत नमन,काश कि हो हर तरफ़ अमन । उभरता कवि आपका “अभी” (अभिनव ) ✍
शर्मसार हाथरस … काका हाथरसी,आज बेहद दुखी,जब होगा सुना,है दुष्कर्म हुआ । रोयी होगी रूह,बेटी बेआबरू,छलनी कर डाला,जीते जी मारा । पावन हाथरस,शर्मसार बेबस,ऑंखें झुकीं,साँसें रुकीं । रौंगटे हुए खड़े,कांप गई नसें,पाप खुलेआम,पूरा शहर बदनाम । दिया फ़ूल रौंद,चीलों का झुंड,होगी झपटमारी,वो एक बेचारी । ना होगा बख़्शा,ये कैसी परीक्षा !हँस रही दरिंदगी,लाचार है जिंदगी […]
हम राम भरोसे …. होती राजनीति,जलती अँगीठी,बस बातें मीठी,कूटनीति कुरीति । हों झूठे वादे,अनैतिक इरादे,मतलब के नाते,गाँठें ही गाँठें । थाली के बैंगन,दागी हर दामन,है प्रदूषित मन,देख रोए चमन । बेच डाले ज़मीर,धुंधली तस्वीर,खून हो गया नीर,दिल केवल फ़क़ीर । खेलें शतरंज,दूजे पर तंज,केवल षड्यंत्र,बेबस जनतंत्र । जोडें हैं हाथ,ना पर जज़्बात,डाकू अज्ञात,लूटें बारात । […]
आप … बस आप … बेइंतिहा … बड़े दिनों से,आपसे हो नहीं पाई गुफ़्तगू ।सोचा आप याद नहीं करते,मैं ही क्यूँ ना आपको याद करूं । दिल था बेचैन,लग रहा था कुछ अटपटा,मुझसे रहा ना गया,सोचा – किया जाए हालचाल पता । एक ही बात है,आपने याद किया या मैंने,दूरियां घटाना मक़सद था,क्या दूजा क्या […]
ज़रूरी है अपने ज़हन में राम को जिंदा रखना, पुतले जलाने से कभी रावण नहीं मरा करते अभिनव कुमार – Oct 2020 तुमने कहा हमें भला बुरा, क्या क्या तुमने कहा नहीं,, तुम्हें गुमां – ‘मैं हूँ अधूरा”,,, मुझे यकीं – “हूँ डूबने वाला नहीं अभिनव कुमार – Oct 2020 तेरे रहम-ओ-करम पर पल रहें […]