बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी।
बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी। राह में चलते कभी, किसी का दीदार कर।बेवफ़ाई में कभी, कभी किसी के प्यार पर।भीड़ में कभी, तो कभी रात की तन्हाई में।किसी की मुस्कुराहट में, कभी रुसवाई में। बस कलम यूँ ही चल पड़ती है मेरी। कभी किसी को ख्यालों में, सोचते हुए।अंधेरे में, किसी उजाले […]