पांच का जादू
वो २२ मार्च,
वो बजे थे पांच ।
शाम का आगाज़,
कुछ अलग और ख़ास ।
वो पांच मिनट,
गए शिकवे सिमट ।
लाखों के पल,
जैसे मिल गया हल ।
एक अलग ही जोश,
हर तरफ संतोष ।
थी कृतज्ञता,
कुछ भी ना खता ।
आभार किया व्यक्त,
जो हैं कार्यरत ।
फ़र्ज़ से हैं जुट,
नर्स, डॉक्टर ख़ुद ।
खतरे में जान,
करें पत्रकार काम ।
खाद्य पूर्ति, पुलिस,
सेवा भाव तपिश ।
इनको श्रद्धांजलि,
कांति भरी अंजलि ।
एक अलग नज़ारा,
देश खड़ा था सारा ।
वो समां था प्यारा,
सब कुछ था संवारा ।
बरसों के बाद,
दिल हुआ आबाद ।
ना था कोई स्वार्थ,
ना षड्यंत्र, ना चाल ।
सकारात्मक तरंग,
माहौल में रंग ।
देखे जो दंग,
ना कोई जंग ।
हौंसला अफजाही,
रौनक थी आई ।
गुम घबराहट,
उम्मीद की आहट ।
आ गए थे आंसू,
वो पल थे धांसू ।
वो धन्यवाद,
मैं रहा था नाच ।
जैसे हो गया हल्का,
गम फैंका, छलका ।
हुआ अद्भुत अनुभव,
शब्द कम, चुप लब ।
देख रहा इतिहास,
ईर्ष्या अहसास ।
वो लम्हा जिया,
मैंने अमृत पिया ।
आ गया आनन्द,
मुस्कुराहट थी मंद ।
देख चकित आसमान,
धरा भी हैरान ।
बजीं ताली, थाली,
शंख नाद, खुशहाली ।
कटोरी रही थी झूम,
चम्मच भी गूंज ।
वो मंत्रमुग्ध ध्वनि,
ईश ने भी सुनी ।
वजह परिपक्व माली,
संस्कृति अपना ली ।
थी विकट घड़ी,
खराब होती स्थिति ।
आए प्रधान सेवक,
अहम संदेश लेकर ।
किया था संबोधन,
मोह लिया था मन ।
आगाह किया,
वादा था लिया ।
शत्रु से युद्ध,
हिम्मत से जूझ ।
अदृश्य दुश्मन,
दहशत हर जन ।
है ख़तरनाक,
रहा हल पल भाग ।
कोई बात नहीं,
मुश्किल ही सही ।
सूझ बूझ से काम,
लेगा आवाम ।
मिलके बनें शेर,
कर देंगे ढेर ।
एक सूत्र में बांधा,
बड़ा पक्का इरादा ।
होंसला किया दुगुना,
वैरी से ना झुकना ।
होंगे जब साथ,
जीत पक्की बात ।
दे दिए ब्रह्मास्त्र,
दिए भरपूर अस्त्र ।
सच्चा मार्गदर्शक,
इसमें नहीं शक ।
कमाल की छवि,
पलकें झुकाए रवि ।
एक ऐसा नेता,
है सचमुच विजेता ।
पहले दी मिसाल,
फ़िर हक़ से की मांग ।
चाहिए कुछ समय,
तभी होंगे अजय ।
की देश से अपील,
रहें सजग, विवेकशील ।
अपना लें कर्फ्यू,
हो विषाणु काबू ।
जनता के लिए,
रहे स्वस्थ, जिए ।
अपील कारगर,
सन्नाटा दिनभर ।
किया दिल से पालन,
पूरा अनुशासन ।
कमाल का देश,
देता संदेश ।
चाहे बुराई लाख,
चाहे झगड़े सांठ गांठ ।
जब देश पे संकट,
सब जाते मुट्ठी बन ।
तब होते एक,
साथ शक्ति देख ।
इनको है सलाम,
करें हिन्द का नाम ।
इनपर है गर्व,
हैं कर्म से धर्म ।
स्वरचित – अभिनव ✍🏻