नशा: एक भयानक तबाही

नशा: एक भयानक तबाही

नशा समाज में फैली है ऐसी बुराई है जिससे मनुष्य का जीवन समय से पहले ही मौत के मुंह में चला जाता है। नशे के लिए शराब, गांजा, चरस, भांग,अफीम, हंडिया, गुटखा, तंबाकू, धूम्रपान, सिगरेट आदि घातक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। नशा न केवल नशा करने वाले व्यक्ति के जीवन को तबाह करता है बल्कि उसके परिवार, सगे संबंधी, आसपास के संबंधों और सामाजिक वातावरण को दूषित करता है।

नशा ग्रस्त व्यक्ति को समाज हीन भावना की दृष्टि से देखता है, ऐसे व्यक्ति की समाज में कोई पहचान नहीं होती। नशा करने वाला व्यक्ति सभी के लिए बोझ जैसा होता है। नशा ग्रस्त व्यक्ति समाज के लिए एक अभिशाप की तरह होता है जिसकी समाज में कोई उपयोगिता नहीं होती। इस दुर्व्यसन से स्कूल जाने वाले बच्चे, युवा, प्रौढ़, बुजुर्ग सभी प्रभावित हो रहे हैं। नशा के चंगुल में फंसा व्यक्ति मुश्किल से ही बाहर निकल पाता है।

क्या कहते हैं आंकड़े

पढ़ाई में कैरियर के चलते घर परिवार से दूर रहने वाले युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है। घर से दूर ना उन्हें परिवार की बंदिशें होती है ना कोई पूछने वाला। शौक शौक में कब नशे की आदत लत में परिवर्तित हो जाती है उन्हें पता भी नहीं चलता। नशे के बारे में ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट बहुत ही चौंका देने वाली है भारत में युवा एवं बचपन किस तरह नशे का शिकार हो रहा है चलिए नजर डालते हैं इन आंकड़ों पर-

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा 2009-10 में एक रिपोर्ट जारी की गई थी जिस में बताया गया था कि 12 करोड़ लोग भारत में उस समय तंबाकू का सेवन कर रहे थे। 2011 में तंबाकू से होने वाली बीमारियों पर सरकार ने 1,04,500 करोड़ रुपए खर्च किए थे।

एक सिगरेट आपकी जिंदगी के 9 मिनट पी जाती है तथा तम्बाकू की एक पीक आपकी जिंदगी के 3 मिनट कम कर देती है। तम्बाकू तथा अन्य मादक पदार्थों से हर 7 सेकंड में एक मौत होती है। 90% फेफड़ों का कैंसर 50% ब्रोंकाइटिस एवं 25% घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है।

धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और यह चेतावनी प्रत्येक नशा करने वाली वस्तु पर लिखी होती है फिर भी लोग जानबूझकर अपनी जिंदगी को नशा नामक गर्त में धकेल रहे हैं। नशा से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होती है फिर भी लोगों को अपनी जिंदगी से कोई प्यार नहीं है।

अपराध का एक कारण है नशा

समाज में बढ़ रहे विभिन्न अपराधों का एक कारण नशा भी है। जैसे जैसे नशा करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है वैसे वैसे अपराधों की संख्या भी बढ़ रही है। नशा व्यक्ति के शरीर के साथ साथ मानसिक शक्ति और सोचने विचारने की शक्ति को भ्रमित कर देता है। कोकीन, चरस, अफीम तथा
अन्य ड्रग्स उत्तेजना पैदा करने वाले नशीले पदार्थ हैं जिस के प्रभाव से व्यक्ति अपराध कर बैठता है। इन पदार्थों के अधिक सेवन से व्यक्ति पागलपन और सुषुप्तावस्था का शिकार हो जाता है। नशे के कारण पारिवारिक कलह, लड़ाई-झगड़े बने रहते हैं तथा बच्चों के भविष्य पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। नशा भी एक अपराध की श्रेणी में आ चुका है, 2014 में नारकोटिक्स ड्रग्स एक्ट के तहत 43,290 नशे के केस दर्ज किए गए थे जिस में सबसे अधिक 16,821 पंजाब में, 6,180 उत्तर प्रदेश में, 5,989 महाराष्ट्र में और 1812 तमिलनाडु में हुए थे।

नशा है बीमारियों की जड़

शराब पीने से पेट और लीवर संबंधी अनेक बीमारियां होती हैं तथा पेट का कैंसर भी हो सकता है। पेट की सतही गलियों और रेशों पर शराब पीने का असर पड़ता है। शराब आंतों को नुकसान पहुंचाती है जिससे अल्सर जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है और पेट और गले को जोड़ने वाली नली में सूजन आ जाती है जो कैंसर का कारण बनती है। तंबाकू के सेवन से तपेदिक (टीवी) निमोनिया और सांस की बीमारियों सहित मुख, फैफड़े और गुर्दे का कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।

कहां जाता है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है और स्वस्थ मस्तिष्क वाला व्यक्ति ही परिवार समाज और देश को आगे बढ़ाने में योगदान दे सकता है। नशा व्यक्ति के शरीर के साथ साथ मन को भी खोखला बना देता है नशा करने वाला व्यक्ति कभी भी उन्नति नहीं कर पाता।

सरकार को करनी होगी पहल

हमारे देश की बागडोर संभालने वाले पक्ष विपक्ष के नेता व मानव अधिकारों से संबंधित संस्थायें सामाजिक मुद्दों पर आए दिन आवाज उठाते नजर आते हैं परंतु इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कोई आवाज नहीं उठाता ना कोई कानून लाया जाता। नशे के कारण रोजाना होने वाले अपराध, घरेलू झगड़े, हिंसा, मौतें, सामाजिक वातावरण का दूषित होना क्या यह सामाजिक मुद्दे नहीं है। एक नशा ग्रस्त व्यक्ति अपने साथ साथ परिवार के सभी व्यक्तियों की जिंदगी को नरक बना देता है क्या यह सामाजिक समस्या नहीं है। नशे को जड़ से समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा पहल करने की आवश्यकता है, अगर समाज में फैली बुराइयों को साफ करना है या समाज के बढ़ रहे अपराधों को कम करना है तो पहले नशे को खत्म करना होगा।

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