मुझको उम्मीद…

मुझको उम्मीद…

संकट की घड़ी,
है आन पड़ी ।

है वक़्त विकट,
है डर, दहशत ।

तू जीतेगा,
गम बीतेगा ।

विश्वास ले कर,
ये परीक्षा पल ।

तू हिम्मत कर,
हो निश्चय अचल ।

मत बुजदिल बन,
अभी जारी जंग ।

खतरा ना टला,
शत्रु है खड़ा ।

तू तोड़ कड़ी,
जान पे है बनी ।

तू होगा विजयी,
सुबह होगी नई ।

जाएगा पतझड़,
तू आगे बड़ ।

सावधानी कर,
भीड़ भाड़ से बच ।

तू स्वच्छता रख,
हर एक तू पल ।

संयम बस हल,
तू शांति रख ।

तू कर निश्चय,
ना कर तू भय ।

तू जागरुक कर,
शिक्षित हर जन ।

कर ईश्वर याद,
उससे संवाद ।

सब होगा ठीक,
मुझको उम्मीद…
मुझको उम्मीद…

स्वरचित – अभिनव

कविता
Comments (1)
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  • Abhinav

    good