बढ़ती विकास दर में कम होते रोजगार।
नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को 3 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इन 3 वर्षों में नरेंद्र मोदी जी ने बहुत से काम किए हैं जिनमें कुछ काम ऐसे है जिनसे आम जनता काफी प्रभावित हुई है।। जैसे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उठाया गया नोटबंदी का कदम, सदियों से चले आ रहे कानून तीन तलाक में मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की भरपूर कोशिश, सीमा पर जाकर दुश्मन के बंकरों को उखाड़ फेंकना यह कुछ ऐसे फैसले थे जिनकी सराहना चारों ओर हुई।।। इसके अलावा भी नरेंद्र मोदी ने जन कल्याण के लिए बहुत सी योजनाएं चलाई जो जनहित के लिए थी।। यह फैसले राजनीतिक फैसले थे जो प्रत्येक सरकार सत्ता में आने के बाद लेती है हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि भाजपा ने जन कल्याण के हित के लिए बहुत से कार्य किए हैं।
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और वहीं आर्थिक मामलों की बात करें तो सरकार महंगाई को कम करने में सफल रही है साथ ही सस्ती ब्याज दर भी लोगों को मिल रही है जीडीपी की दर 7 फीसदी के साथ अच्छी रफ्तार से बढ़ रही है राजकोषीय घाटा 3 फीसदी के करीब आ गया है मतलब राजकोषीय घाटा काफी घटा है।। 1 जुलाई से जीएसटी भी भारत में लागू हो जाएगा इन सभी वजहों से भारत में विदेशी निवेशकों का रुझान काफी बढ़ गया है।
इन सबके अतिरिक्त रोजगार के नए मौके सरकार उत्पन्न नहीं कर पा रही है भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के “लेबर ब्यूरो” के आंकड़ों को उठाकर देखा जाए तो उन आकडों से स्पष्ट होता है कि नए रोजगार पैदा करने में 84 फ़ीसदी तक की गिरावट आई है जबकि सरकार यह घोषणा कर चुकी है कि 2016 में बेरोजगारी की दर 9.5 फीसदी थी जो कि फरवरी 2017 में घटकर 4.8 फीसदी रह गई है। लेकिन लेबर ब्यूरो के आंकड़े तो कुछ और ही बता रहे हैं रोजगार के नए अवसर पैदा करने की दर पिछले 8 सालों में सबसे न्यूनतम स्तर पर दर्ज की गई है।। “केंद्रीय श्रम मंत्रालय” के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 8 सालों में 2015 -16 में सबसे कम नई नौकरियां आई है जो क्रमशः 1.55 लाख और 2.31 लाख है जबकि कांग्रेस के कार्यकाल में 2009-10 में लगभग 9 लाख नई नौकरियों के अवसर प्रदान किए गए थे।
सरकारी नौकरियों के अलावा प्राइवेट सेक्टर (आईटी सेक्टर) से हजारों युवाओं की छटनी हो रही है पिछले कुछ महीनों में लगभग 57000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है निकट भविष्य में भी आईटी सेक्टर में सुधार की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है।
भारत में एक बड़ा तबका युवा वर्ग का है जो लगभग देश की जनसंख्या का 60 फीसदी है और किसी भी देश की शक्ति युवा वर्ग ही होता है जिससे सब अच्छी-बुरी सरकार की समझ होती है जो चाहे तो किसी सरकार को आसमान पर बैठा दे चाहे तो गिरा दे। जबकि भारत का वही युवा वर्ग बेरोजगारी की जंजीर से जकड़ा हुआ है एक सर्वेक्षण के अनुसार 15 साल से 29 साल के युवकों में 30% युवा ऐसे हैं जिनके पास अपना कोई रोजगार ही नहीं है भारत में इस समय 2.5 करोड़ नए रोजगार सृजन करने की आवश्यकता है जब कि पिछले 30 सालों में भारत में केवल 70 हजार ही नये रोजगार उपलब्ध हो पाये हैं।
भारत में रोजगार का पारंपरिक स्रोत कृषि रहा है जिसके मौजूदा हालात संतोषजनक नहीं कहे जा सकते फसल बीमा योजना के तहत दी गई राशि किसानो तक पूरी नहीं पहुंच पाई है जिस किसान की फसल बर्बाद हुई उसे पचास हजार का नुकसान हुआ और क्षतिपूर्ति राशि 500 रुपये दी गई।
यह सभी आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण थे जो भारत के मौजूदा हालात को दर्शाते हैं हालांकि नरेंद्र मोदी जी ने यह बताना अनिवार्य कर दिया है कि मंत्रिमंडल में स्वीकृत होने वाले प्रस्ताव से रोजगार के कितने नए अवसर प्रदान होंगे। अब देखना है कि आगे के 2 साल मोदी जी कितने नए रोजगार सर्जन कर पाते हैं।