कविता की लंबाई… पे मत जा भाई …
कविता जब शुरू करता हूं लिखनी,
कोशिश कि बन पड़े तालाब जितनी ।
आरंभ से लग जाती है विचारों की झड़ी,
जुड़ने लगती है फ़िर कड़ी से कड़ी ।
ख़ुद को बीच में मगर रोक नहीं पाता हूं,
जज्बातों में बस बहता ही चला जाता हूं ।
कविता बन जाती है कई बार कहानी,
अनजाने में हो जाती है मुझसे नादानी ।
तालाब बन जाता है सागर,
रुमाल बन जाता है चादर ।
बिना समझाए अभिप्राय,
भला क्या औचित्य रह जाए ?
प्रयास होता है कि कविता शीघ्र थमे,
ये मगर पीती चली जाती है समय ।
खोदने चला मिट्टी, खोद डाला कुआं,
सच कहता हूं, ये नशा है, है ये जुआ ।
एक बार जब सोच की भरी उड़ान,
फ़िर उतारे नहीं उतरता है ये विमान ।
उड़ता चला जाता है ये बेपरवाह,
बेकाबू, चाहे मिले, ना मिले पनाह ।
रचना को जल्द विराम देनी की होती है फ़िक्र,
क़ैद भावनाएं मगर, कभी ये ज़िक्र, कभी वो ज़िक्र ।
रुके ना रुकता कल्पना का घोड़ा,
बोले – बस और थोड़ा, बस और थोड़ा ।
गागर में सागर हो, होता प्रयास,
एक तरफ दुनिया, एक तरफ अहसास ।
होते किससे, होते उदाहरण,
शरीर करे जैसे जनेऊ धारण ।
इस आधुनिक युग में हर कोई व्यस्त,
संवेदनाओं के लिए भी ना है वक़्त ।
मशीनें क्या करेंगी इज़हार ?
उनके लिए तो बस केवल व्यापार ।
कलपुर्जेे सब हैं बस केवल,
बंधें दूजे से, जब हो मतलब ।
सबको हर चीज़ चाहिए झटपट,
व्यर्थ बेकार की छटपटाहट ।
रिश्ते प्रतिदिन जा रहे घिसते,
खुश हैं बाहर, भीतर सिसकते ।
किसको किसकी कैसी चिंता ?
अपने लिए ही हर कोई ज़िंदा ।
वो जीवन भी कैसा जीवन ?
ख़ुद से हरदम रहती अनबन ।
ना मेलझोल ना सेवा भाव,
कहने को सामाजिक, मगर बिखराव ।
खोखलापन व अकेलापन,
दोगलापन व उतावलापन ।
अपने साथ भी नहीं संतुष्ट,
कोसते कभी ख़ुदको, कभी दूजा दुष्ट ।
ख़ुद के लिए भी निकालिए फ़ुरसत,
पूरी कीजिए दबी डूबी हसरत ।
ख़ुद को भी कीजिए महसूस,
थोड़ा ठहराव, क्यों हैं अंकुश ?
ख़ुद को खोजिए, कीजिए अर्चना,
हल्कापन चाहें तो पढ़िए रचना ।
आपसे एक बस है गुज़ारिश,
अनुभूत कीजिए जैसे मधुर बारिश ।
ग़ौर से थोड़ा दीजिए ध्यान,
दिल से लिखता हूं मैं श्रीमान ।
अपने से आपको जोड़ता हूं,
कविता में आपको खोजता हूं ।
भाव देखिए, गहराव ढूंढिए,
बिन पड़े हमसे मत रूठिए ।
बिन सीख, बिन शिक्षा,
जैसे खाना फ़ीका फ़ीका ।
कविता है लंबी पर रोचक अंदाज़,
छिपे हुए गूढ़ अर्थ को जाएं पहचान ।
फ़िर ग़ैर ना अपनी परछाईं,
होगा एकांत, ना कि तन्हाई ।
कविता दिल तक जाएगी मेरा वादा है,
आपमें समाएगी यही इरादा है ।
अगर छूएगी आपको, होगी कामयाबी,
वाह वाही प्रेरणा, हर ताले की चाबी ।
ना मिले कोई टिप्पणी तो भी चलेगा,
पढ़िएगा ज़रूर नहीं तो मेरा दिल जलेगा ।
मेरी घंटों के प्रयास चाहें आपके चंद कीमती लम्हें,
वैसे तो आप हमें याद करते नहीं, ऐसे ही करिए हमें ।
आपका – अभिनव ✍🏻