कहां गया जादूगर ?
रूपवान काया,
सरस्वती का साया,
संस्कारों की छाया,
सन्तुलन था समाया ।
दुर्लभ खज़ाना,
थे रोहित सरदाना,
पूरा जग था दीवाना,
तुम्हें अपना था माना ।
अपने ही दम पर,
पहुंचे तुम ऊपर,
पैर बड़ों के छूकर,
बने नामी एंकर ।
दमदार छवि थी,
तुम जैसे रवि थे,
तुमसे ही सभी थे,
जैसे साथ अभी थे ।
मुझे पढ़ थे लेते,
मेरी बात थे कहते,
मेरे आंसू जब बहते,
तुम चुप ना बैठे ।
मेरे हक़ की लड़ाई,
लड़ी तुमने भाई,
थी उम्मीद जगाई,
जीतेगी सच्चाई ।
बस सीधी बात,
ना कोई बक़वास,
थे ख़ासम ख़ास,
मुद्दे की तलाश ।
असली महानायक,
तुम मेरे सहायक,
मेरी नस नस,
तुम गए थे बस ।
जोखिम में जान,
ना है आसान,
मेरी ख़ातिर कमान,
ईश या इंसान ।
मद में ना उड़े,
थे ज़मीं से जुड़े,
मुँह कभी ना मोड़े,
हाथ हरदम जोड़े ।
शानदार व्यक्तित्व,
रिश्तों में घनत्व,
चाहे जो हो वक़्त,
सेवा-भाव हर पल ।
हर दिल पर राज,
होगी कोई तो बात !
बेबाक अंदाज़,
केवल इंसाफ़ ।
मुस्कुराहट नायाब,
गड्ढे हर गाल,
नयन कहते बात,
ज़ाहिर जज़्बात ।
ना नफ़ा नुकसान,
नेकी की मिसाल,
काबिलीयत पहचान,
सादगी को सलाम ।
ईमान सर्वोपरि,
अहमियत हर घड़ी,
वजूद से ना ठनी,
ज़िम्मेदारी सबसे बड़ी ।
जब तक थी साँस,
किए ढेरों प्रयास,
बचे किसी की जान,
यही आस अरमान ।
असामयिक निधन,
गमगीन हर मन,
ये क्षति सके न भर,
कहां गया जादूगर ?
कहां गया जादूगर ?
तुम जहां रहो,
बस ख़ुश रहो,
तुम्हें पाकर खो,
रहा हिन्द है रो ।
अश्रुपूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏🏻अभिनव ✍