इश्क की गली

इश्क की गली हमको, रास ना आए
जो रास आए ,उसको हम खो ना पाएं
एक नाव पर सवार होकर,चलना चाहता हू़ं
तु ही नाविक है ए-खुदा,जिन्दड़ी पार लगाई

कविता