खुशियों की रंगोली, 🌈
समां में करुणा घोली,
सारी नफ़रत धोली ।
मिटे गिले व शिकवे,
चार चांद लगे शब पे,🌙🌙🌙🌙
दुश्मन गए हैं छिप से, 🥵
दोस्त मिले हैं दिल से । 💓
अनेकता में एकता, ✨
नभ उत्सुक हो देखता,
धरती पे आए देवता,
अपनापन झलके व नेकता । 💃🏻
बिखरा पड़ा है ग़ुलाल, 🟣🔵🟢🟡
हर चेहरा बना ग़ुलाब, 🌹
सच हो गए जैसे ख़्वाब, 🛐
दुख ग़ायब हुए जनाब । 💫
होती कभी ज़बरदस्ती,
गज़ब की होती मस्ती, ☺️
मुस्कान रौनक है बसती,
ये खुशियां नहीं सस्ती ।
चारों तरफ़ है बहार, 🤡
‘जियो, दो जीने’ – सार, 🫂
करो शुभ कर्म, परोपकार, 🕉️
प्रेम प्रतीक ये त्योहार । 🎭
स्वरचित – अभिनव ✍🏻