विचार कर्म के प्रासाद की नींव है। विचार का प्रभाव अदभुद् है। यह विचार ही है जो अर्जुन को गाण्डीव उठाने के लिये प्रेरित करता है, ओैर नरेन्द्र को विवेकानंद बना देता हेंै। यह विचार ही हैे जो किसी भी आदमी को अपराधी बनने के लिये प्रेरित करता है। चिंतन मनन के बाद विचार ही आचरण का रुप लेता है।
एसे ही एक विचार ने तमिलनाडू के ए.जी.पेरारिवलन को एक अपराधी बना दिया। उनका अपराध था पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाॅधी की हत्या के “ाडयंत्र में ‘ाामिल होना। ओर अभी ये तमिलनाडू की वेल्लोर जेल में विगत 15 वर्”ाौ से मौत की सजा काट रहे है। उन्हें कभी भी फाॅसी हो सकती है। पेरारिवलन की यह कहानी दे’ा की अनेक जेलों में सजा काट रहें सेंकडों अपराधियो की कहानी है इसमें नया क्या है? इस कहानी में न केवल नया है, बल्कि जीवन के प्रत्येक क्षण को जीने की कहानी है।
मैं यहाॅ स्पस्ट करदूॅ कि, इस लेख का उद्धे’य किसी अपराधी को महिमा मंडित करने का नहीं है बल्कि जीवन के प्रति उसके सकारात्मक दृ”िटकोण को जानने, समझने, और समझाने का है।
महात्मा गाॅधी ने कहा था कि, ‘‘ ऐसे जियों कि तुम कल ही मरने वाले हो औेर ऐसे सीखो कि, जैसे तुम्हें हमे’ाा जिंदा रहना हेै’’ वैसे यह बात सभी लोगों के लिये एक उच्चतम आदर्’ा प्रस्तुत करती है, पर वे लोग इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते होगें जिनके लिये मौत का दिन कल नहीं होता लेकिन पेरारिवलन के लिये आने वाला कल सच में जीवन का आखिरी दिन हो सकता है। पेरारिवलन चर्चा में तब आये जब उन्होंने तामिलनाडू की एक ओपन यूनिवर्सिटी से पब्लि’िांग के एक कोर्स में टाॅप किया। उसे यह पता है कि, किसी दिन एक सरकारी आदे’ा से उसकी फाॅसी की सजा मुकर्रर हो जायेगी लेकिन जीवन की अनि’िचतता उनके आ’ाावाद पर कभी भी हावी नहीं हो सकी।
पेरारिपलन विगत 15 वर्”ाो से कुछ न कुछ सकारात्मक ओर अनुकरणीय कार्य करते रहे है। वे जेल में कैदियों के लिये संचालित स्कूल में पढा रहे है, वर्तमान में वे कर्नाटक संगीत सीख रहे है। वर्”ा 2011 में राजीव गाॅधी की हत्या में अपनी भूमिका को लेकर उन्होने एक किताब भी लिखी जो इंगलि’ा के साथ साथ तमिल और हिन्दी में भी प्रका’िात हुई।
पेरारिवलन को जब पुलिस ने गिरफतार किया था उस समय उन्होने इलेक्टोनिक्स और कम्युनिके’ान में डिप्लोमा कर लिया था। जेल में रहते हुये उन्होनें इंदिरागाॅधी ओपन यूनिवरसिटी ईग्नू से बेचलर आॅफ कम्प्यूटर एप्लीके’ान बी.सी.ए. और मास्टर आॅफ कम्प्यूटर एप्लीके’ान एम.सी.ए. किया। यहाॅ यह वि’ो”ा उल्लेखनीय है कि, एम.सी.ए. में उनके प्रोजेक्ट का वि”ाय था कैदियों के प्रबंधन में ई-गर्वनेस का प्रभावी इस्तेमाल कैसे हो। उनका यह सकारात्मक सोच है कि, आखिरकार हर अंधेरी सुरंग के अंतिम सिरे पर रो’ानी होती है। एक इंसान को अपनी किस्मत बदलने के लिये हर संभव को’िा’ा करना चाहिये। वे कम्प्यूटर साईंस में डाक्टरेट के लिये अपना पंजीयन करवाने के लिये प्रयत्न’ाील है।
वे अपने जीवन के प्रति कितना सकारात्मक सोच रखते हैे कि, वे रोजाना अपनी नियमित दिनचर्या पूरी करने के बाद जेल में आवंटित कार्य जिसमें कैदियों को पढाना भी ‘ाामिल है पूरी करते हे औेर ‘ो”ा समय में किताबें पढने और लिखने में अपना समय बिताते है। उनकी मुस्तैदी और काम के प्रति लगन देखकर पत्येक केदी के मन में यह बात तो आती ही है कि, क्या पता ये दिन उनके जीवन का आखिरी दिन हो लेकिन पेरारिवलन अपने कार्य व्यवहार में यह दर्’िात ही नहीं होने देते कि, वे फाॅॅसी की सजा याफता केदी है।
उनकी माॅ अपर््थम्मल कहती हैे कि, वो कभी भी उनके सामने रोया नही या कमजोर नहीं पडा बल्कि वो उन्हें ढाॅढस बंधाता हैे और उन्हें अपने स्वास्थय के प्रति ध्यान रखने को कहता हैे। उसके अनेक दोस्त उससे नियमित मिलने आते है औेर उसे फल और नई नई किताबें देते हैे। वो अपने बारे में कभी कोई बात नहीं करता है बल्कि आने वालों के परिवारजनों का हालचाल जरुर पूछता है।
चैन्नई स्थित एवर्ज टेक्नोलाॅजी के डायरेक्टर और सी.ई.ओ रमे’ा कुमार पेरारिवलन की जिंदगी पर एक डाक्यूमेन्टरी फिल्म बना रहे हेंै। चेैन्नई के ही प्रघादि’ा का कहना है कि, वे कई बार उससे मिल चुके हेै। उन्होने मेरी स्क्र्रिप्ट के लिये ऐसे कई सुझाव दिये दिये जिसे देखकर मैं दंग रह गया कि, ये ऐसे व्यक्ति के द्वारा दिये गये सुझाव है जिसे किसी भी दिन फाॅसी के फंदे पर लटकाया जा सकता है। विगत 15 वर्”ाों से वे जिस मानसिकता में जी रहे है एंसे में जीवन के प्रति उनका यह सकारात्मक सोच हमें कही गहराई तक सोचने को मजबूर करता है।
उन्होने वर्”ा 2005 में तमिलनाडू के कांचीपुरम् में एक एजुके’ान संेटर स्थापित किया है जिसमें गरीब बच्चों को मुफत ’िाक्षा दी जाती है। वर्तमान में इस सेंटर मे 350 से अधिक बच्चे ध्ययनरत है। जीवन के सबसे अंधकारमय समय को वे जीवटता से जी रहे ेहै ।