ग़म-ए-शायरी

ग़म-ए-शायरी


दिल-ए-दर्द को शब्दों मे बयां कर दूंगा
‌ आंखों के आंसूओं को पन्नों पर लिख दूंगा
मै पाप,मद और अत्याचार का विरोधी हूं
‌‌‌‌‌ समय आने पर तुम्हारे दिलों मे लिख दूंगा

                    अज़य महिया
कविता