खुदा करे के तु रूठे ओर मनाऊं मै
इसी दिन के लिए,तुझे सताऊं मै ।
कैसा ये अफ़स़ाना,कैसी मोहब्बत है
तुम्ही को रूस्वा करता जाऊं मै ।
कितनी सीदत से तुझे ,तराशा है खुदा ने
लगता है कोई जन्नत की नूर है तू ।
तेरे लिए ही जीता हूं और मरता हूं मै
बस तुम्ही से शरारत करता हूँ मै ।
क्या तुम्हे मै बताऊं ओ मेरे सनम
बिना तेरे कितना तन्हा और अधूरा हूं मै ।
अजय तेरा कात़िब,किस्सा दिया खुदा ने
ख़ता है ये कैसी की तुझे रुस्वा करता मै ।