फ़िर आए राम …
अपने अवध में,
फिर आए राम,,
इस कलयुग में,
घर आए राम ।
पाप ख़त्म करने,
फ़िर आए राम,,
ज़ख़्मों को भरे जो,
मरहम हैं राम ।
प्यार बहुतायत में,
साथ लाए राम,,
ना आए शायद में,
निःसंदेह आए राम ।
मोदी जी सदृश,
आज आए राम,,
हनुमान गए दिख,
योगी जी स्वभाव ।
जीते जी मेरे,
आ ही गए राम,,
बादल थे घेरे,
छा ही गए राम ।
भाई चारे की कमी,
भरने आए राम,,
आंखों की नमी,
हरने आए राम ।
मद बढ़ता देख,
कम करने आए राम,,
अनेक को करने एक,
अवतरित हुए राम ।
न्याय दिलाने वास्ते,
भागे चले आए राम,,
मेरे दिल के रास्ते,
सर्वत्र समाए राम ।
मुस्कुराहट फैलाने हेतु,
चेहरों पे आए राम,,
पहले बनाया सेतू,
इंसान बनाने आए अब राम ।
सरोबार हुआ मन,
कण कण में समाए राम,,
रौनक हर आंगन,
मुझको बनाने आए राम ।
भाव विभोर – अभिनव ✍🏻