हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं
लोगों ने कवि बना दिया
भरे बजार में हाले-दिल का तमाशा बना दिया
घर से निकले तो थे कि तुझे भुला देंगे
लिख लिख कर दिल से यादों को मिटा देंगे
पर आशिकों के इस बाजार ने
तेरी यादॊं को हि बाजारू बना दिया
बस अब तो यही दुआ करते हैं कि
तेरा नाम लबों पर ना आए
और हम भी कहीं इश्क के सौदागर ना बन जाएं