भारत का शेर …
नीरज चोपड़ा,
गाँव का छोकरा,
किया तिरंगा ऊंचा,
हिन्द खुशी से रो पड़ा ।
जीता दिल,
प्रदर्शन उत्कृष्ट,
हासिल स्वर्ण पदक,
बदली पुरानी रीत ।
सोने की चिड़िया,
के माथे पे बिंदिया,
याद करेंगी,
शतकों तक पीढ़ियां ।
उठाया भाला,
बड़ी दूर उछाला,
प्रतिद्वंदी हुआ चित्त,
बड़ा हिम्मतवाला ।
ना बच्चों का खेल,
निकले अच्छों का तेल,
ओलंपिक में दहाड़ा,
भारत का शेर ।
हर किसी के बस की,
ये बात नहीं,
इस सुबह की अब तो,
है रात नहीं ।
मिल्खा भी ख़ुश हैँ,
तारे एकजुट हैं,
सपना हुआ पूरा,
अब मिला सुकून है ।
स्वरचित – अभिनव ✍