असमंजस – अब बस …
तुम भी सही,
मैं भी सही,
ग़लत बात फ़िर,
किसने कही ?
दिल की बात,
दिल ही में रही,
मैं हूँ वही,
मैं था वही ।
ताने बाने बस,
बुनते रहे,
सिर्फ कमियां ही,
चुनते रहे ।
रही सही कसर,
गलतफहमियां खा गईं,
जाने कैसी !
रिश्तेदारी निभा गईं ।
अब भी वक़्त है,
आ जाएं आगे,
दो कदम मैँ बढूँ,
दो तेरे हवाले ।
सोच मत,
मत रुक,
रिश्तों से,
करले तार्रुख ।