अंतर ज़मीन आसमान का
एक सोया रहा दो महीने,
दूजे ने कसी कमर दो दिन में ।
एक ने किया बस वक़्त बर्बाद,
दूजे ने एक किए दिन और रात ।
एक ने बहुत फ़ैलाया रायता,
दूजा अपनाए कानून कायदा ।
पहले ने काटी बस घाँस,
दूजा सख़्त कड़ी पूछताछ ।
एक बना रहा धृतराष्ट्र,
दूजे के लिए – सिर्फ़ राष्ट्र ।
एक ने किया बस नज़रअंदाज़,
दूजे की कोशिश – खुलें राज़ ।
एक के कान पे जूँ ना रेंगे,
दूजा सारे दृष्टिकोण देखे ।
पहला करे सही भी अनदेखा,
दूजा सटीक, खींचे सही रेखा ।
एक ने साथ दिया जलेबी का,
दूजा दुश्मन फ़रेबी का ।
एक की कोशिश – मिटें सबूत,
दूजा वजूद में बेहद मज़बूत ।
एक आया दबाव में,
दूजा ना किसी बहकाव में ।
पहला बना कठपुतली मोहरा,
दूजा टस से मस ना ज़रा ।
एक की नीयत में केवल खोट,
दूजा करे काम डंके की चोट ।
एक की ख़त्म ना हो रही हठ,
दूजा कुशल निपुण कर्मठ ।
पहला कातिलों के सामने फिसड्डी,
दूजा – कातिलों के गले की हड्डी ।
पहले चाहे हो केस रफा दफा,
दूजा इंसाफ़ से चाहे फ़ैसला ।
पहला पक्षपाती, करे बईमानी,
दूजा अलग करे दूध पानी ।
एक घुसा डरके अपने बिल में,
दूजा बसा हर एक के दिल में ।
एक खो चुका सबका विश्वास,
दूजे बना उम्मीद व आस ।
एक बन गया जैसे दलाल,
दूजा ईमानदार दे डाली मिसाल ।
एक असुरक्षित, ना आए आंच,
दूजा कर रहा तटस्थ जांच ।
एक ने बेच डाला ज़मीर,
दूजा निष्ठावान ऊंचा अस्तिस्त्व ।
पहले के थे कदम डगमगाए,
दूजा आशा – दिलवाए न्याय ।
पहले ने बस किया गुमराह,
दूजा सुलझाए गुंजल जो स्याह ।
एक ने धूमिल की अपनी छवि,
दूजा दिवाकर दिनकर रवि ।
पहला बोला, था बेबस मजबूर,
दूजे को ना बिल्कुल बहाने मंज़ूर ।
दोनों में अंतर ज़मीन आसमान का,
एक करे शोषण, दूजा रामबाण सा ।
समझ गए होंगे आप इशारा,
कानून अंधा, रक्षक पर सहारा ।
आवाम की हिफाज़त सर्वोपरि,
देख अनौचित्य – है जनता डरी ।
कानून का सब पालन करें,
सब एक समान चाहे छोटे बड़े ।
काश राम राज्य लौट आए !
ना कोई पाप, सब पुण्य कमाएं ।
स्वरचित – अभिनव ✍🏻