तेरी आँखो की मदहोशियां,जु़ल्फों के तराने, मुझे पल भर रोने नहीं देते हैं |
अज़य महिया
दिन तो जैसे-तैसे गुज़र जाता है,कमबख़्त रातें भी हमें सोने नहीं देती हैं ||
मै मूर्खों की बस्ती मे रहने आ गया हूँ ,अब मेरे सामने चुनौतियाँ बढ़ गई है |
अजय महिया
नज़रें झुकाना,शरमा कर पास से निकलना,ये सब क्या है |
अजय महिया
तुम्हे पता है तुम धङकन हो हमारी,फिर ये नाटक क्या है ||
हमें जिनसे मोहब्बत हैं,वो अपनी रजाई लेकर आराम से सोए हैं |
अजय महिया
एक रात जगकर वो भी देखते, हम उनके लिए कितना रोए हैं ||
जा,छोड़ दिया हमने तेरी बेवफा गलियों से गुज़रना |
अजय महिया
तुम्हे भी कोई ओर मिल जाएगा,हमे भी कोई ओर ||
मेरी नज़र ने तेरी नज़रों के नज़र से नज़र के नज़ारे बहोत देखे हैं |
अजय महिया
क्या कहे तेरी महफिल को,इसमे बेवफाई के नज़ारे बहोत देखे हैं ||
जब अपनेपन की हमको,कोई तान सुनाई देती है |
अजय महिया
मेरे मन-मन्दिर की सरिता,गंगा बनकर बहती है ||
बच्चा एक पौधा है और अभिभावक है उसका माली |
अजय महिया
शिक्षक उपजाऊ तत्व तो विद्यालय करता है रखवाली ||
जो शिष्य गुरु की उपदेश रूपी भट्टी मे तपते नहीं है,
उनकी सफलता उनसे कोसों दूर भाग जाती है |
अजय महिया
ये उम्र और वक्त बीत जाएंगे यूं ही,जाने तुम कब समझोगे |
अजय महिया
मैने आवाज़ की खामोशी को कलम दे दी,तुम कब पढोगे ||
ये जो मेरी नजरों के सामने से रोज गुजरती है |
अजय महिया
पता नहीं हम उनकी नजरों में है या नहीं है ||
बस एक बार सुनो तुम, हमारी धडकन की आहट को |
देखना, तुम भी करवटें बदलोगे पर नींद नहीं आएगी ||
अजय महिया
ऐ-ज़िन्दगी यूं सामने आकर मुस्कराया ना करो |
अजय महिया
कहीं तुम्हे सुखी देखकर मै सीने से ना लगा लूं ||
कितने राज दफन हैं मेरे सीने में, तेरी ज़िन्दगी के ,कभी मिलुंगा तो बताऊंगा |
अजय महिया
यूं तो तुम्हारी गलियों से रोज गुजरता हूं पर कभी अकेला मिलूंगा तो बताऊंगा ||
आजकल जब भी तेरी गलियों से गुजरता हूं तो ऐसा लगता है जैसे कुछ खो गया है |
अजय महिया
तुम सामने आकर इतना मुस्कराया ना करो |
अजय महिया
कहीं हमें तुमसे मोहब्बत हो गई तो कहाँ रखोगे||