अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 18

मनुष्य को फूलों के विकास पर ध्यान देना चाहिए फल तो अपने आप लग जाएंगे|

अज़य महिया

तुम फूलों को नष्ट करके फल प्राप्त करना चाहते हो, ये असंभव है|

अज़य महिया

फूलों के विकास से ही फलों की उत्पत्ति होती है|

अज़य महिया

आत्मा के हिमालय से भावनाओं की नदी निकल रही है
तू न मिली,कोई ग़म नहीं,यादों की धारा तो बह रही है

अज़य महिया

तुम्हारी मुस्कान सूरज को ठंडा कर दे
मैं तो इन्सान ही हूँ

अज़य महिया

दिल की ख़्वाहिशों को मुकाम नहीं मिलता
दर्द को तुम्हारे साथ बांटने का पैगाम नहीं मिलता
मिलता होगा सब कुछ अमीरों को,
गरीबों को मकान भी नहीं मिलता

अज़य महिया

दुनिया का सबसे जहरीला प्राणी है मनुष्य,जो किसी को काट ले तो ज़िन्दा रहने की सोचना भी बेवकूफी लगती है|

अज़य महिया

बारिश में भीगा ही था कि तेरी याद आ गई |
भीतर थी जो दबी वो अचानक बाहर आ गई
आई तो याद थी पर मुझे लगा कि जान आ गई

अज़य महिया

हे नागरी ! तुम अद्भूत,अविश्वसनीय,अकल्पनीय,सृष्टिकर्ता,पालनहार हो,तुम से ताकतवर प्राणी इस पृथ्वी पर दूसरा नही है|

अज़य महिया

अपने दु:खों का दूसरों के सामने विलाप करना खुद का अपमान करना है यदि आप चाहते हैं कि ज़िन्दग़ी में सुकून प्राप्त हो तो दु:खों को सुख में,समस्या को समाधान में, समय को अवसर में तब्दील करना सीख लीजिए|

अज़य महिया

तुम मुझे मन में रमा लो तो मैं मनमौजी हो जाऊंगा
तुम मुझे हृदय में बस लो तो मैं हृदवासी हो जाऊंगा
कहते होंगे लोग इश्क में कि मैं चाँद_तारे ले आऊंगा
तुम मुझे अपना लो तो मैं हमेशा तुम्हारा हो जाऊंगा

अज़य महिया

वर्त्तमान के गर्भ में भविष्य की सुनहरी खुशियाँ छिपी हैं
अतीत की असफलताओं में सीखने की तत्परता छिपी है
जिसने भी जिया गोल(लक्ष्य) वर्त्तमान को मधू-सा मादक बना करके
इसी में उसके जीवन लक्ष्य की सम्पूर्ण सफलताएँ छिपी है

अज़य महिया

शब्दों से मानवों के हृदयों पर कितना असर पङता है यह समझ लेनी हो तो किसी की भाषा को महसूस करके देखो |

अज़य महिया

वर्तमान युग में स्वार्थ रूपी शैतान मन रूपी मंदिर में आकर बैठ गया है जिसने भावना रूपी बस्ती से मानवता रूपी क्रांतिकारी को देशनिकाला दे दिया है |

अज़य महिया

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