अज़य महिया छद्म रचनाएँ – 17

दुनिया का सबसे अमीर आदमी झोपङी मे रहता हैं,महल में तो गरीब रहते हैं

अज़य महिया

मैं समझने लगा हूँ,मैं समझाने लगा हूँ
रूस्वा ज़िन्दगी को फिर मनाने चला हूँ

अज़य महिया

मस्ती का खुमार चढे तो ऐसा,कि फिर कभी न ढले
जब गिरे हौसला तो ऐसा चढे,कि फिर कभी न गिरे

तुम्हे बताऊं,क्या हाल है अपना
ऐसा लगता है जैसे, बेहाल है अपना

अज़य महिया

कैसे तुम्हे बताऊं,क्या हाल है अपना
ऐसा लगता है जैसे, बेहाल है अपना

अज़य महिया

ना जात से,ना पात से,ना नशा और नोट से
हम वोट करेंगे सिर्फ राष्ट्र हित की सोच से

अज़य महिया

लबों पर हँसी और आँखों में कातिलानापन रखती हो तुम कहती हो मैं भोली हूँ,मुझे तो शातिर बङी लगती हो ||

अज़य महिया

मौसम ने अंगङाई ली है,घटा विरह-सी बन आई है
क्या ख़ता हुई थी हमसे,जो तुमने मुझे ज़ूदाई दी है

अज़य महिया

जब तेरी याद आती है,मुझे पथहीन कर जाती है
कभी दीया जलती है कभी दीया बूझा जाती है
गुनाहों की देवी घोङों पर सवार होकर आती है
जब तेरी याद आती है,मेरे होश खो कर जाती है

अज़य महिया

नशा आँखों में हो,तो कौन होगा?जो नहीं लङखङाएगा |
हंसी लबों पर हो,तो कौन होगा ? जो मधूशाला जाएगा |

अज़य महिया

कैसे भी हो जीवन में विश्वास अटल रहना चाहिए
जैसे भी रहें जीवन में रिश्ते हमेशा बने रहने चाहिए

अज़य महिया

जब तू आएगी फिर से मेरे दिल-ए-द्वार पर,कसम से दरवाज़े बंद मिलेंगे

अज़य महिया

खुबसूरती किसी अमीरी की मोहताज़ नही होती है,
गरीबी मे भी खूबसूरती के चराग जलते देखे है |

अज़य महिया

मुझे तेरी जुल्फों में रहने की आदत हो गई है
मुझे तुमसे मोहब्बत हो गई है

अज़य महिया

दोस्ती का इम्तिहान अभी बाकी है
ये दिल-ए-जज़्बात अभी बाकी है
मिल जाए कोई साथ रहने वाला
पथिक का मकान अभी खाली है

अज़य महिया

हुस्न की हवस मिटाने को,मन की प्यास बुझाने को |
ये नये ज़माने का प्यार है,नहीं कोई दिल लगाने को

अज़य महिया

कोई तकलीफ़ देकर मरता है,कोई तकलीफ़ लेकर मरता है
क्यों न तकलीफ़ों से सीखें,कि तकलीफ़ देती है कुछ लेकर

अज़य महिया

कहीं नहीं,कभी नहीं,बस तेरे सिवा कोई चेहरा देखूं
दिल-ए-अरमान बस एक है मरते वक्त तुझे देखूं

अज़य महिया

जीवन बोझ लगने पर नकारा बन जाता है
दोस्त बेवफा होने पर नासूर बन जाता है

अज़य महिया

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