जब से तुमने रात में जागना शुरू किया
अज़य महिया
तेरी कसम ! चांद भी तेरा दिदार करने लगा है ||
किताबों को भावनात्मक व ज्ञानात्मक रूप से पढने पर मनुष्य में दया,सेवा,परोपकार,अहिंसा,सत्य आदि ऐसे गुणों का विकास होता है जो जीव को स्वर्ग की ओर ले जाते हैं |
अज़य महिया
ज़िन्दग़ी की तलाश अभी बाकी है,हसरतों का जवान होना बाकी है |
अज़य महिया
होने को तो सब कुछ है हमारे पास,बस एक महबूब की तलाश बाकी है ||
ग़फ़लत मे बिता दी उम्र सारी,उसकी तरहा ज़िन्दगी भी बेवफा निकली |
अज़य महिया
तेरी ज़िन्दगी का हर मोङ सुकुन से भरा होगा |
अज़य महिया
मै नहीं तो कोई और तो तुझ पर मरा होगा |
आम की रूत है जनाब,हो सकता है अब कुछ लोग मीठे बोलने लग जाएं |
अज़य महिया
उम्र का एक दौर गुज़र गया साहब किसी को याद करते-करते पर उन्हें हम याद नहीं आए |
अज़य महिया
हम ज़िन्दगी को उसकी यादों की खुशबू से ही गुज़ार लेते,कमबख़्त हवाओं से भी रूख बदल लिया 💞
अज़य महिया
ज़िन्दग़ी से कोई गीला-शिकवा नही है साहब,
अज़य महिया
बस मौत आने का वादा करके मुकर गई |
आसमां से सितारे झाँक रहे है ‘अज़य’
अज़य महिया
मेरी अट्टारी मे चांद ऊतर आया है
दिल में ज़ख्म कितने गहरे हैं ‘अज़य’ कभी झाँककर तो देखो |
अज़य महिया
ज़िन्दग़ी मे हर मौसम सुहाना नहीं होता,कभी हमसे बात करके तो देखो ||
आजकल लोग मतलब से बात करते हैं साहब, सच बोलने की हिम्मत थोङी हैं |
अज़य महिया
उसको देखकर तो चाँद भी बोलने लग जाए ‘अज़य’ |
अज़य महिया
न जाने वो आईना क्या-क्या हसीं कहानी कहता होगा ||
सख्त पहरों के बीच से गुज़र रहा हूँ मै
अज़य महिया
इस वक्त कठिन दौर से गुज़र रहा हूँ मै”
हमे पता है इश्के-जंग़ बुरी बला है अज़य |
अज़य महिया
पर शेर करने के लिए ये बला भी सर ले लूंगा ||
ज़िन्दगी मे तन्हाइयों का होना भी जरूरी था |
अज़य महिया
वरना बदलते वक्त का पता कैसे चलता ‘अज़य’ ||