नज़र उठाकर देखा जिसे,वो हुस्न वाले बङे महफ़ूज़ निकले |
अज़य महिया
क्या सुनें उनकी अदाओं की गुस्ताख़ियां,वो ख़ुद बेजूबां निकले ||
अरे! लूट गई सबकी कस्तियां,वो दर्दे-मोहब्बत के शायर निकले |
सोचा उनकी शायरी से तर जाऊं,पर ख़ुद मझधार में डूबे निकले ||
प्यार तो ऐतबार का होता है साहब
अज़य महिया
परदे के पीछे बहोत धोखेबाज रहते है |
हसीन रातों की चाँदनी हो तुम
अज़य महिया
खोई हुई राहों की मंजि़ल हो तुम
कितनी बसी है दिल में सूरत तेरी
बस मेरे दिल की धड़कन हो तुम
हक़ीकत को लफ़्ज़ों बयां कर पाऊं,ऐसा थोङी हूँ मैं |
अज़य महिया
हाथ पकङकर मझधार मे छोङ दूं ,ऐसा थोङी हूँ मैं ||
कितनी हसीं होती रातें,यदि मोहब्बत का इज़हार कर देते |
अज़य महिया
पायल,चूङी,कंगन,नूपुर सब ला देता,यदि तुम बयां कर देते ||
मोहब्बत उम्र का तकाज़ा नही है जनाब,
अज़य महिया
जिसे किसी तराजू मे तौला जाए |
उसे शकुं तो अब आया होगा
अज़य महिया
आजकल बदले बदले लगते है |
चांद_सितारों को तोङना तो कोई हमसे सीखे |
अज़य महिया
जज़्बातों से खेलना कोई इन हुस्न वालों से सीखे ||
ना शिकवे हैं किसी से,ना किसी से गिले हैं |
अज़य महिया
ज़िंदगी की हर मोङ पर धोखेबाज़ मिले हैं ||
आसमान से छिनकर तारों को,तेरे माथे की बिन्दियां बना दूं |
अज़य महिया
हा-ना,ऊंहूं ये सब क्या है,तू कहे तो तुझे ताजमहल बनवा दूं ||
कितनी काली है ये रात और हो रही है बरसात |
अज़य महिया
कङक रही है बिजली और जल रहे है जज़्बात ||
सूनी है ये महफिल तुम्हारे बिना,आ रही है याद |
आज फिर लौट आओ ऐसी ही थी वो पहली रात ||
कितनी महफिलें और सजेगी लूटने के लिए
अज़य महिया
हम तो पहली ही मुलाकात में लुट गए थे
ज़िन्दगी अकबरी लोटे के समान हो गई है |
अज़य महिया
कभी इस पर,कभी उस पर,ठहरती ही नही है||
दिल में बिजली-सी कङकने लगी है
अज़य महिया
तुम बारिश बनकर आ रहे हो क्या ||
सोचा दोस्तों से शिकायत करूं तेरी बेवफाई की |
अज़य महिया
फिर समझ आया वो खुद बेवफाई के मारे बैठे है ||
ये जो इधर है वो ऊधर भी होगा,
अज़य महिया
ये जो ऊधर है वो इधर भी होगा |
इश्क की इस रंगी महफिल मे ,
कोई दोस्त शायर ही तो होगा ||
शब्द
अज़य महिया
वो ह्रदय भेदी बाण है जिसको
चलाने से पहले खुद सोच लेना
चाहिए कि
मुझमें कितने बाण सहने की
ताकत है |
कितना इंतज़ार करता हूँ कैसे बताऊं
अज़य महिया
बस तुम समझो जब नहीं बोलते हो
तो हमारी ज़ान निकल जाती है
मोहब्बत कोई काँच की बोतल नहीं,
अज़य महिया
जिससे गुस्से में आकर फोङ दिया जाए |
उसकी आंखों मे एक चमकती रोशनी बन जाऊं |
अज़य महिया
वो हां कहे तो कश्मीर से कन्याकुमारी घुमा लाऊं ||
तुम मेरी ज़िन्दगी हो,तुम मेरी पहचान हो |
अज़य महिया
सुनो ! रूठा मत करो ,तुम मेरी ज़ान हो ||